सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (15 जुलाई) को एक महिला और उसके दूसरे पति को दो शादी करने के आरोप में 6-6 महीने जेल की सजा सुनाई है। हालांकि कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि कपल की यह सजा एक साथ नहीं बल्कि अलग-अलग होगी।
जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि पहले महिला का दूसरा पति छह महीने जेल में रहेगा। सजा पूरी होने के दो हफ्ते के भीतर पत्नी को खुद को पुलिस के हवाले करना होगा।
कपल का एक छह साल का बच्चा है जिसकी देखभाल को ध्यान में रखते हुए, अलग-अलग सजा का प्रावधान किया गया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुनवाई करते हुए सुनाया है। जिसमें बिना तलाक के दूसरा विवाह करने के आरोप में कपल की जेल की सजा को पर रोक लगा दी थी।
मद्रास हाइकोर्ट ने कपल को अदालत उठने तक कारावास और 20,000 रुपए जुर्माना भरने की सजा सुनाई थी। सप्रीम कोर्ट ने बिना तलाक लिए दूसरा विवाह करने को कठोर अपराध माना। साथ ही 6-6 महीने की सजा के साथ जुर्माने की राशि 20,000 से घटाकर 2000 कर दी।
क्या है पूरा मामला
याचिकाकर्ता का आरोप है कि पहली आरोपी जो उसकी पत्नी थी, ने तलाक की कार्यवाही पूरी किए बिना दूसरी शादी कर ली। महिला का दूसरा पति मामले का दूसरा आरोपी है।
महिला के पहले पति ने कपल के साथ महिला के माता-पिता को भी अपराध में बढ़ावा देने के लिए आरोपी बनाया था।
ट्रायल कोर्ट ने महिला के माता-पिता को बरी कर दिया, लेकिन दोनों अन्य आरोपियों को IPC की धारा 494 के तहत 1-1 साल के कारावास की सजा और 2000 रुपए का जुर्माना लगाया।
इसके बाद मामला सेशन कोर्ट में पहुंचा जहां दोनों आरोपियों को बरी कर दिया गया। जिसके बाद महिला के पहले पति ने मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।