लोकसभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने शुक्रवार (5 जुलाई) की दोपहर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंच कर इंडियन रेलवे के लोको पायलट्स से मुलाकात की। राहुल ने लोको पायलट्स से उनके काम, उनकी परेशानियों के बारे में जाना।
लोको पायलट्स ने ड्यूटी में कम आराम दिए जाने की शिकायत की और ज्यादा आराम दिए जाने की बात कही। इस पर राहुल ने लोको पायलट की मांग का समर्थन किया है। साथ ही उनको आश्वासन दिया कि वे लगातार रेलवे के निजीकरण और रेलवे में भर्ती की कमी का मुद्दा उठाते रहे हैं और आगे भी उठाते रहेंगे।
कांग्रेस ने X पर राहुल के नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जाने की 4 तस्वीरें भी शेयर कीं। इसमें बताया कि राहुल ने पूरे भारत से आए करीब 50 लोको पायलटों से मुलाकात की।
कांग्रेस ने कहा कि सूत्रों के मुताबिक लोको पायलट लंबी दूरी की ट्रेनें चलाते हैं। उन्हें घर से दूर रहना पड़ता है। अक्सर उन्हें पर्याप्त ब्रेक के बिना ड्यूटी पर लगाया जाता है। इससे लोको पायलट्स को बहुत तनाव होता है और एकाग्रता में कमी आती है जो दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण है।
विशाखापट्टनम दुर्घटना की जांच रिपोर्ट में भी इंडियन रेलवे ने इस बात को स्वीकार किया है। लोको पायलट 46 घंटे का साप्ताहिक आराम मांगते हैं, जिसका मतलब है कि शुक्रवार दोपहर को घर लौटने वाला ट्रेन चालक रविवार सुबह से पहले ड्यूटी पर वापस नहीं आएगा।
रेलवे अधिनियम 1989 का नहीं हो रहा पालन
सूत्रों के मुताबिक, आरोप है कि रेलवे अधिनियम 1989 और अन्य नियमों में पहले से ही हर हफ्ते 30+16 घंटे आराम का नियम है। रेलवे इसका पालन नहीं कर रहा है। प्लेन के पायलटों को भी आमतौर पर इतना ही आराम मिलता है।
कांग्रेस के मुताबिक, लोको पायलटों की मांग है कि लगातार दो रातों की ड्यूटी के बाद एक रात का आराम होना चाहिए। ट्रेनों में ड्राइवरों के लिए बुनियादी सुविधाएं होनी चाहिए। लोको पायलटों की भर्ती रोक दी गई है। कम स्टाफ होने के कारण अन्य कर्मचारियों को ज्यादा काम करना पड़ रहा है।
पार्टी सूत्रों ने दावा किया है कि पिछले 4 सालों में रेलवे भर्ती बोर्ड ने हजारों रिक्तियों के बावजूद एक भी लोको पायलट की भर्ती नहीं की है। लोको पायलटों ने आशंका जताई कि यह जानबूझकर उठाया गया कदम मोदी सरकार द्वारा रेलवे का निजीकरण करने की योजना है।