नई दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा पेश की। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने प्रमुख ब्याज दरों में 9वीं बार कोई बदलाव नहीं किया है। अक्टूबर में भी सेंट्रल बैंक ने प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। आरबीआई ने रेपो रेट को 4 फीसदी पर, जबकि रिवर्स रेपो रेट को 3.35 फीसदी पर बरकरार रखा।
एसपीसी की बैठक 6 दिसंबर को शुरू हुई थी जो इस वित्तीय वर्ष में समिति की आखिरी बैठक थी। माना जा रहा था कि कोरोना को ओमीक्रोन वैरिएंट की आशंका के बीच केंद्रीय बैंक नीतिगत ब्याज दरों को यथावत रख सकता है। बैठक से पहले एसबीआई रिसर्च सहित कई अर्थशास्त्रियों ने नीतिगत दरों पर अभी यथास्थिति बनाए रखने का सुझाव दिया था। आरबीआई ने आखिरी बार ब्याज दरों में 22 मई 2020 को बदलाव किया था।
अभी रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी पर है। नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होने से आपकी जेब पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अगर रिजर्व बैंक ब्याज दर बढ़ाता तो लोन महंगे हो जाते। इसके विपरीत अगर रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की होती तो इससे लोन सस्ता हो जाता और ईएमआई में गिरावट देखने को मिलती।
दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने रियल जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 9.5 फीसदी बनाए रखा है, लेकिन वित्त वर्ष 2022 की तीसरी तिमाही के लिए इसे घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया गया है। पहले यह 6.8 फीसदी थी। साथ ही चौथी तिमाही के लिए इसे 6.1 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी कर दिया गया है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि मुख्य महंगाई अब भी चिंताजनक बनी हुई है। सीपीआई महंगाई पूर्वानुमानों के मुताबिक है। महंगाई वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में पीक पर पहुंचेगी और उसके बाद इसमें गिरावट आएगी। वित्त वर्ष 2022 के लिए सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) महंगाई के 5.3. फीसदी पर रहने का अनुमान लगाया है।