यह स्थान जिला मुख्यालय से करीब 18 किमी दूर और असीरगढ़ किले के पास है। यह अफवाह तेजी से असीरगढ़ सहित आसपास के क्षेत्र में फैलने के बाद ग्रामीण रात में वहां पहुंच कर खोदाई कर रहे हैं।
हालांकि, अब तक एक भी ऐसा मामला सामने नहीं आया है, जिसमें किसी ग्रामीण को सोने के सिक्के मिलने की पुष्टि हुई हो अथवा प्रशासन के पास उन्हें जमा कराया गया हो। क्षेत्र में चल रही चर्चाओं के मुताबिक ये सोने के सिक्के मुगलकाल के हैं। इनमें उर्दू अथवा अरबी भाषा में कुछ लिखा हुआ है। पुरात्तवविदों और कांग्रेस नेताओं ने जिला प्रशासन से इस मामले की जांच कराने की मांग की है।
पहले भी मिले हैं सोने के सिक्के
पुरातत्वविद और डीएटीसी के सदस्य कमरुद्दीन फलक के अनुसार एतिहासिक असीरगढ़ के किले में मुगल बादशाह के डर से तत्कालीन कई अमीरों ने शरण ली थी। उन्होंने अपना खजाना असीरगढ़ किले के पास ही जमीन में दबा दिया था। बाद में उनकी मृत्यु हो गई और खजाना वहीं गड़ा रह गया।
पहले भी आसपास के क्षेत्र में मुगलकालीन सिक्के लोगों को मिल चुके हैं। कांग्रेस नेता अजय रघुवंशी ने भी जिला प्रशासन से पूरे मामले की सूक्ष्मता से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि यह अफवाह है तो इसे फैलाने वाले षड़यंत्र रच रहे हैं। उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
असीरगढ़ क्षेत्र के लोगों का कहना है कि कई खेत मालिकों और ग्रामीणों को सोने के सिक्के मिले हैं। उन्होंने इन सिक्कों को स्थानीय सराफा व्यापारियों के यहां खपा दिया है। हालांकि कैमरे के सामने कोई भी कुछ कहने को तैयार नहीं है, लेकिन जिस तरह से खेतों और पहाड़ियों में खोदे गए ताजा गड्ढे मिल रहे हैं, उससे यह तो साफ है कि ग्रामीण रात में वहां खोदाई कर सोने के सिक्कों की तलाश कर रहे हैं।