मालदीव के विदेश मंत्री मोस्सा जमीर से मिले एस जयशंकर भारतीय सैनिकों को निकालने पर चर्चा की

Updated on 19-01-2024 01:04 PM

भारत-मालदीव में चल रहे तनाव के बीच गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूगांडा की राजधानी कम्पाला में मालदील के विदेश मंत्री मोस्सा जमीर से मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच आपसी संबंध और भारतीय सैनिकों को निकालने के मुद्दे पर चर्चा हुई।

दरअसल, जयशंकर नॉन अलाइन्ड मूवमेंट (NAM) समिट के लिए यूगांडा गए हुए हैं। शुक्रवार से शुरू हो रहे इस समिट से पहले दोनों नेताओं की बैठक हुई। इस दौरान उन्होंने मालदीव में चल रही विकास परियोजनाओं, SAARC और NAM की दोनों देशों की भागीदारी पर भी चर्चा की।

मीटिंग के बाद मालदीव के विदेश मंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा कि हम अपनी संबंध को मजबूत करने और इसे आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मालदीव हिंद महासागर में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है।

भारतीय सैनिकों को निकालने के लिए 15 मार्च की डेडलाइन
5 दिन पहले मालदीव में मौजूद भारतीय हाई कमिश्नर की मौजूदगी में हुई एक कोर कमेटी की बैठक के बाद मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने भारत को अपने सैनिक हटाने के लिए 15 मार्च तक की डेडलाइन दी थी।

उन्होंने कहा था कि भारतीय सैनिक मालदीव में नहीं रह सकते। राष्ट्रपति मुइज्जू और उनकी सरकार की यही नीति है। मालदीव के मीडिया ने वहां की सरकार के हवाले से बताया कि मालदीव में फिलहाल 88 भारतीय सैनिक मौजूद हैं। दोनों देशों के बीच सैनिकों को हटाए जाने से जुड़ी बातचीत के लिए हाई-लेवल कमेटी बनाई गई है।

मालदीव के सबसे बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की भारत फंडिंग कर रहा
पिछली सरकार के दौरान दोनों देशों के बीच डिफेंस के साथ ही कई दूसरे मुद्दों पर द्विपक्षीय साझेदारी मजबूत हुई थी। पिछले साल अगस्त में PM मोदी ने मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह से मुलाकात की थी। इस दौरान दोनों देशों के बीच भारत की फंडिंग वाला ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) शुरू हुआ था।

यह मालदीव का सबसे बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट है। इसके तहत राजधानी माले को विलिंग्ली, गुलहिफाल्हू और थिलाफुशी जैसे द्वीपों से जोड़ने के लिए 6.74 किलोमीटर लंबा पुल और कॉजवे लिंक बनाया जाएगा। इससे पहले मई 2023 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मालदीव गए थे। इस दौरान उन्होंने पड़ोसी देश को एक फास्ट पैट्रोलिंग वेसल और लैंडिंग एयरक्राफ्ट सौंपा था।

हालांकि, अक्टूबर 2023 में मालदीव में हुए राष्ट्रपचति चुनाव के दौरान मोहम्मद मुइज्जू ने इंडिया आउट का नारा दिया था। यह अभियान इस बात पर आधारित था कि भारतीय सैनिकों की मौजूदगी मालदीव की संप्रभुता के लिए खतरा है। मुइज्जू नवंबर में चुनाव जीतकर मालदीव के राष्ट्रपति बन गए। इसके तुरंत बाद उन्होंने भारतीय सैनिकों को वापस भेजने की बात कही।

मालदीव में क्या कर रहे हैं भारतीय सैनिक
भारत ने मालदीव को 2010 और 2013 में दो हेलिकॉप्टर और 2020 में एक छोटा विमान तोहफे के तौर पर दिया था। इस पर मालदीव में काफी हंगामा हुआ। मुइज्जू के नेतृत्व में विपक्ष ने तत्कालीन राष्ट्रपति सोलिह पर 'इंडिया फर्स्ट' नीति अपनाने का आरोप लगाया था।

भारत का कहना है कि उपहार में दिए गए विमान का इस्तेमाल खोज-बचाव अभियानों और मरीजों को लाने के लिए किया जाना था। मालदीव की सेना ने 2021 में बताया था कि इस विमान के संचालन और उसकी मरम्मत के लिए भारतीय सेना के 70 से ज्यादा जवान देश में मौजूद हैं।इसके बाद मालदीव के विपक्षी दलों ने 'इंडिया आउट' अभियान शुरू कर दिया। उनकी मांग थी कि भारतीय सुरक्षा बल के जवान मालदीव छोड़ें।

क्या भारत मालदीव से सैनिक निकालेगा
अभी तक विदेश मंत्रालय ने इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। हालांकि, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने COP28 में कहा था कि भारत सरकार ने मालदीव में मौजूद अपने सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला किया है।

राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा था- भारत सरकार के साथ इस मुद्दे पर बातचीत हुई है। भारत ने सैनिकों को वापस बुलाने पर सहमति जताई है। डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए भी एक हाई लेवल कमेटी गठित करने पर भी सहमति बनी है।

'भारतीय सैनिकों को हटाना मालदीव के लोगों की इच्छा है'
जनवरी की शुरुआत में को दिए एक इंटरव्यू राष्ट्रपति मुइज्जू से भारत की सैन्य मौजूदगी के मुद्दे पर सवाल पूछा गया था। सवाल था कि भारत अपने सैनिकों को बाहर निकालने की आपकी जिद से चिंतित है।

यदि वे जाते हैं, तो नौसेना के हेलिकॉप्टरों और विमानों जैसी भारतीय संपत्तियों या प्लेटफॉर्म्स का क्या होगा। इसने स्थानीय लोगों की जान बचाने और अन्य HADR गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है?

इस पर मुइज्जू ने जवाब दिया था- इस साल के राष्ट्रपति चुनावों में मालदीव के लोगों ने यह साफ कर दिया था कि वो देश में विदेशी सैनिकों की मौजूदगी नहीं चाहते हैं। फिलहाल, भारत ही ऐसा देश है, जिसके सैनिक यहां मौजूद हैं। मालदीव के नागरिकों की इच्छा को देखते हुए ही मैंने भारत से अपने सैनिकों को हटाने के लिए कहा है।

मुझे पूरा भरोसा है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत मालदीव के लोगों की इच्छा का सम्मान करेगा। मेरा मानना है कि हमारे द्विपक्षीय रिश्ते इतने मजबूत हैं कि दोनों देश बातचीत के जरिए इस मसले का हल निकाल सकें।

साथ ही बगैर सैन्य उपस्थिति के अपने रिश्तों को और मजबूत कर सकें। मुझे इस बात पर कोई शक नहीं है कि भारत या कोई भी अन्य देश जिसके हित हिंद महासागर से जुड़े हैं, वो हमारे नागरिकों की लोकतांत्रिक इच्छा का सम्मान करेगा।



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