मुंबई । राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि विनायक दामोदर सावरकर हिंदू धर्म के प्रति बेहद वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते थे। वह दलितों को मंदिरों में प्रवेश देने के शुरुआती समर्थकों में से थे। नासिक में अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के समापन दिवस पर शरद पवार ने अपने संबोधन में कहा सावरकर ने मानव उपभोग के लिए गाय के मांस और दूध की उपयोगिता की भी वकालत की थी। शरद पवार ने कहा कि वह तर्कवादी थे। उन्होंने वैज्ञानिक रूप से इस मुद्दे पर बात रखी जिसे कम करके नहीं आंका जा सकता।
शरद पवार ने कहा कि भाजपा ने ‘अनावश्यक’ विवाद पैदा कर दिया है। उन्होंने बताया कैसे सावरकर ने रत्नागिरी में एक छोटा मंदिर बनाया और अनुष्ठान करने के लिए एक दलित को आमंत्रित किया। पवार ने कहा कि यह सामाजिक समानता का संदेश देने के लिए किया गया था। उन दिनों दलितों को मंदिरों में जाने की इजाजत नहीं थी। मंदिर का प्रभार सौंपना अकल्पनीय था। ये कुछ पहलू हैं जो दिखाते हैं कि सावरकर का स्वभाव बेहद वैज्ञानिक था। पवार ने कहा स्वतंत्रता आंदोलन में सावरकर के योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और मराठी मानुष में हर कोई उनका सम्मान करता है।
उनकी यह टिप्पणी विपक्ष के नेता देवेंद्र फडनवीस के यह कहने के एक दिन बाद आई है कि भाजपा का सम्मेलन से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि कार्यक्रम में सावरकर का कोई जिक्र नहीं किया गया। फडनवीस ने कहा था कि सावरकर ने मराठी साहित्य सम्मेलन और मराठी रंगमंच सम्मेलन दोनों की अध्यक्षता की थी और वह मराठी पत्रकार संघ के अध्यक्ष भी रहे थे। भाजपा नेता ने कहा वह शायद एकमात्र ऐसे व्यक्ति रहे होंगे, जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की, फिर भी पूरे आयोजन से उनका नाम गायब है। पूर्व मुख्यमंत्री फडनवीस ने कहा वह हमारे लिए एक आदर्श हैं और अगर हमारे आदर्श व्यक्तियों का सम्मान नहीं किया जाता, तो हम वहां क्यों जाएं।