नई दिल्ली । भारतीय पूंजी बाजार नियामक सेबी ने कहा कि सूचीबद्ध कंपनियों में चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी के पदों को अलग-अलग करना अब अनिवार्य नहीं होगा। इसे स्वैच्छिक आधार पर लागू किया जाएगा। शीर्ष 500 सूचीबद्ध इकाइयों के लिए चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी पदों को अप्रैल, 2022 की समयसीमा से पहले अलग करना अनिवार्य था।
सेबी का यह फैसला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान के बाद आया है। उन्होंने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि अगर भारतीय कंपनियों के इस मामले में कोई विचार हैं, तो नियामक को इस पर गौर करना चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह साफ किया था कि वह कोई निर्देश नहीं दे रही हैं।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने ताजा निर्णय के पीछे कारण अब तक अनुपालन का संतोषजनक नहीं होना बताया। सेबी ने निदेशक मंडल की बैठक के बाद कहा गया था कि सेबी निदेशक मंडल ने यह निर्णय किया है कि सूचीबद्ध इकाइयों के लिए पदों को अलग करने का प्रावधान अनिवार्य की जगह स्वैच्छिक होगा। शुरू में सूचीबद्ध इकाइयों को चेयरपर्सन और प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी के पदों को एक अप्रैल, 2020 से अलग करने की जरूरत थी। हालांकि, उद्योग के प्रतिवेदनों पर गौर करते हुए अनुपालन के लिए दो साल का अतिरिक्त समय दिया गया।
नियामक ने कहा कि यह प्रावधान कंपनी संचालन स्तर में सुधार से जुड़ा था, लेकिन अब तक अनुपालन संतोषजनक नहीं पाये जाने, विभिन्न प्रतिवेदन प्राप्त होने, मौजूदा महामारी के कारण बाधाएं और कंपनियों को सुगम तरीके से बदलाव का मौका देने जैसी बातों पर विचार करते हुए सेबी बोर्ड ने यह निर्णय किया है कि सूचीबद्ध इकाइयों के लिए पदों को अलग करने का प्रावधान अनिवार्य की जगह स्वैच्छिक होगा।