इंदौर। जब हमारी सुबह की शुरुआत एक अच्छी कॉफ़ी से होती है तो हमारा सारा दिन बढ़िया गुजरता है। सिर्फ भारत में ही 30 प्रतिशत लोग अपने दिन की शुरुआत कॉफ़ी से करते हैं। कॉफ़ी में भी कैपेचीनो को विशेष रूप से पसंद किया जाता है। कैपेचीनो के योगदान एवं लोकप्रियता का जश्न मनाने के लिए हर साल 8 नवम्बर को नेशनल कैपेचीनो डे मनाया जाता है। इस वर्ष इस ख़ास दिन को और भी बेहतर बनाने के लिए शेरेटन ग्रैंड पैलेस इंदौर में कैपेचीनो डे मनाया जायेगा इस पूरे दिन होटल में आने वाले सभी मेहमानों के लिए ‘बाय वन गेट वन‘ यानी एक कॉफ़ी पर एक कॉफ़ी मुफ्त का ऑफर चलाया जायेगा।
नेशनल कैपेचीनो डे पर शेरेटन ग्रैंड पैलेस इंदौर के डायरेक्टर ऑफ़ फ़ूड एंड बेवरेज श्री मनीष तिवारी ने कैपेचीनो से जुड़े कुछ लोकप्रिय सवालों के उत्तर दिए
कैपेचीनो एक मशहूर कॉफी है, जिसमें एस्प्रेसो(पिसी हुई कॉफी बीन्स), गर्म दूध और दूध का झाग मिलाया जाता है। यह एक ऐसी ड्रिंक है जो कॉफी के साथ दूध की मलाई का शानदार स्वाद देती है। इसे दुनिया भर में पसंद किया जाता है।
कैपेचीनो का खास स्वाद, खुशबू और इसकी मलाईदार बनावट इसे बहुत फेमस बनाते हैं। इसमें एस्प्रेसो की हल्की कड़वाहट और दूध की मिठास का अच्छा स्वाद होता है, जो इसे कॉफी पसंद करने वालों का फेवरेट बनाता है। इसे सुबह के समय एनर्जेटिक फील करने के लिए पीना पसंद किया जाता है।
कैपेचीनो का नाम 18वीं शताब्दी में इटली में पड़ा। इसका नाम कैपुचिन फ्रायर्स के भूरे कपड़ों के रंग से मेल खाता है, जो कैपेचीनो के रंग जैसा होता है। कैपुचिन फ्रायर्स, रोमन कैथोलिक चर्च के पुजारियों और भाइयों के फ्रांसिस्कन आदेश की एक स्वतंत्र शाखा है। इसी कारण इसका नाम कैपेचीनो पड़ा।
कैपेचीनो बनाने में एस्प्रेसो शॉट, गर्म दूध और दूध का झाग मिलाया जाता है। इसमें दूध का सही झाग बनाना जरूरी होता है। अच्छे बैरिस्टा कैपेचीनो पर खूबसूरत लेटे आर्ट भी बनाते हैं, जो इसे और आकर्षक बनाता है।
कैपेचीनो में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो सेहत के लिए फायदेमंद हैं। इसमें मौजूद कैफीन ऊर्जा और एकाग्रता बढ़ाता है और थकान को कम करने में मदद करता है। कुछ शोध बताते हैं कि इससे हृदय रोग का खतरा भी कम हो सकता है।
कैपेचीनो किसी भी समय पिया जा सकता है, लेकिन इसे सुबह पीना पसंद किया जाता है। अगर इसे सुबह 11 बजे के पहले पिया जाए तो पाचन में भी मदद मिलती है। इटली में लोग इसे दोपहर और शाम में कम पीते हैं।
कैपेचीनो के साथ क्रोइसेंट, डोनट्स, मफिन, कुकीज़, चॉकलेट चिप कुकीज़ और चीज़केक जैसी मीठी चीजें खाई जाती हैं। इसके अलावा नमकीन स्नैक्स के साथ भी इसे मज़े से खाया जा सकता है।
कैपेचीनो का असली नाम "कपुज़िनो" था, जो बाद में बदलकर कैपेचीनो हो गया। ऐसा माना जाता है कि यह ड्रिंक 1800 के दशक में इटली में शुरू हुई थी, लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि इसकी शुरुआत ऑस्ट्रेलिया में हुई थी, जहां इसे "मेलेनर काफे" कहा जाता था। इसकी शुरुआत 18वीं शताब्दी में हुई, लेकिन 19वीं शताब्दी में यह मशहूर होने लगा जब रेस्तरां और कैफे में इसे बनाने की मशीनें आईं।