मुंबई । मुंबई की विशेष अदालत ने सीबीआई को महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के मामले में उनके दो सहयोगियों के बयान दर्ज करने की इजाजत दे दी। मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रहे ईडी ने देशमुख, उनके सचिव संजीव पलांडे और निजी सहायक कुंदन शिंदे को गिरफ्तार किया था। वे फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। सीबीआई ने पलांडे और शिंदे के बयान दर्ज करने की अनुमति मांगने के लिए विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत का रुख किया था, जिसे शनिवार को विशेष न्यायाधीश आर एन रोकाडे ने अनुमति दी थी।
न्यायाधीश ने सीबीआई अधिकारियों को बयान दर्ज करने के लिए आवश्यक स्टेशनरी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और आवश्यक दस्तावेज ले जाने की भी इजाजत दी। गौरतलब है कि अनिल देशमुख ने बुधवार को ईडी के अधिकारियों को बताया कि राज्य मंत्री और शिवसेना नेता अनिल परब ने उन्हें एक लिस्ट दी थी, जिसमें उन अधिकारियों के नाम थे जिनका ट्रांसफर किया जाना था। उन्होंने कहा कि यह पूरी सूची अनाधिकारिक थी। अनिल देशमुख पिछले साल 2 नवंबर से न्यायिक हिरासत में हैं और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी उनसे पूछताछ कर रही है। जब देशमुख का दूसरा बयान रेकॉर्ड किया जा रहा था तो उनसे ट्रांसफर सूची के बारे में पूछा गया।
देशमुख ने कन्फर्म किया कि महाराष्ट्र सरकार के मंत्री अनिल परब की तरफ से ही एक सूची मिली थी। इसके अलावा कोई लिस्ट नहीं दी गई। देशमुख ने बताया कि जो लिस्ट अनिल परब से मिली थी वह अनौपचारिक थी और इसपर किसी के भी हस्ताक्षर नहीं थे। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि परब को यह सूची शिवसेना के विधायकों और पार्षदों से मिली हो जो कि उन्होंने मेरे पास भेज दी। ईडी ने देशमुख से पूछा कि क्या उस अनाधिकारिक सूची को ही आधिकारिक बना दिया गया? इस पर उन्होंने कहा, यह लिस्ट अडिशनल चीफ सेक्रटरी को सौंप दी गई थी और कहा गया था कि नियमों को ध्यान में रखते हुए जरूरी कदम उठाए जाएं।