विश्व की सबसे कठिन धार्मिक एवं श्रीखंड महादेव यात्रा इस बार 14 से 27 जुलाई तक चलेगी। बीते साल यह यात्रा सात जुलाई से शुरू हुई थी। इस यात्रा को लेकर कुल्लू जिला प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी है। डीसी कुल्लू तोरुल एस. रवीश ने इस धार्मिक यात्रा की तैयारियों के लिए अधिकारियों को निर्देश दे दिए है।
इस यात्रा को सुलभ बनाने के लिए श्रीखंड ट्रस्ट समिति और जिला प्रशासन पांच जगह बेस कैंप बनाने का निर्णय लिया है। पहले पड़ाव में सिंहगाड में बेस कैंप बनेगा। इसके अलावा थाचडू, कुनशा, भीमडवार और पार्वती बाग में बेस कैंप बनाए जाएंगे। इसमें सेक्टर मैजिस्ट्रेटों और उनके साथ पुलिस अधिकारी/इंचार्ज के अलावा मेडिकल स्टाफ और रेस्क्यू टीमें भी तैनात की जाएंगी।
पहली बार बचाव दल SDRF की यूनिट तैनात होगी
इस यात्रा में पहली बार बचाव दल SDRF की यूनिट को पार्वती बाग में तैनात किया जाएगा, क्योंकि संकरे व खतरनाक रास्ते की वजह से इस यात्रा के दौरान कई बार अनचाहे हादसे हो जाते है। खासकर बरसात की वजह से इस यात्रा में बाधा आती है।
ऑनलाइन पंजीकरण को बनाया पोर्टल
बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन पंजीकरण पोर्टल बनाया गया है। किसी भी श्रद्धालु को बिना पंजीकरण के श्रीखंड नहीं भेजा जाएगा।
कई बार होती है ऑक्सीजन की कमी
18,570 फीट ऊंचाई पर श्रीखंड महादेव तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 32 किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ता है। श्रद्धालुओं को संकरे रास्तों में बर्फ के ग्लेशियरों को भी पार करना होता है। अधिक ऊंचाई के कारण कई बार यहां ऑक्सीजन का लेवल भी कम हो जाता है। इससे श्रद्धालुओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
पार्वती बाग से आगे कुछ ऐसे क्षेत्र पड़ते हैं, जहां कुछ श्रद्धालुओं को ऑक्सीजन की कमी के चलते भारी दिक्कतें पेश आती हैं। यदि ऐसी स्थिति में ऐसे श्रद्धालुओं को समय रहते उपचार या वापस नीचे नहीं उतारा जाता है। इससे कई श्रद्धालु बिना भोले के दर्शन के ही वापस लौटने को मजबूर हो जाते है।
बीते साल भारी बारिश के बाद स्थगित करनी पड़ी यात्रा
श्रीखंड महादेव की यात्रा बीते साल भारी बारिश के कारण तीन दिन बाद रद्द करनी पड़ी थी। पिछली बरसात में प्रदेश में सबसे ज्यादा तबाही कुल्लू जिला में हुई थी। इसका असर इस यात्रा पर भी पड़ा था।
देशभर से श्रीखंड पहुंचते हैं श्रद्धालु
श्रीखंड यात्रा में हिमाचल के अलावा देश के कोने-कोने और नेपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन को पहुंचते हैं। इसलिए जिला प्रशासन और श्रीखंड ट्रस्ट के लिए लोगों के जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित बनाना चुनौती रहेगा।