नई दिल्ली । अलग-अलग किसान संघों का संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) अब इस संगठन को ‘राष्ट्रीय स्तर के मोर्चा’ के तौर पर पेश करने की तैयारी करेगा। किसान मोर्चा ने साफ किया है कि जो किसान नेता राजनीति में जाना चाहते हैं, उन्हें इस संगठन को छोड़ देना चाहिए। यह कहना है एसकेएम की कोर समिति के सदस्य दर्शन पाल का। पाल ने कहा कि एसकेएम को ‘गैर राजनीतिक’ रहना चाहिए। दर्शनपाल की इस टिप्पणी के बाद तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। कुछ लोगों का कहना है कि क्या यह टिप्पणी राकेश टिकैत के लिए की गई है।
ज्ञात हो कि राकेश टिकैत पर पहले भी किसानों के मुद्दे पर राजनीति करने के आरोप लगते रहे हैं। विरोधी उन पर यह भी आरोप लगाते रहे हैं कि वह किसान आंदोलन के जरिए अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में दर्शनपाल की टिप्पणी पर राकेश टिकैत की क्या प्रतिक्रिया होगी यह तो आने वाले समय में ही सामने आएगा।
पाल की टिप्पणी एसकेएम द्वारा केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के साल भर से चल रहे आंदोलन को स्थगित करने के फैसले के बाद आई है। संगठन ने अगले साल 15 जनवरी को एक बैठक बुलाई है जिसमें देखा जाएगा कि क्या सरकार ने उसकी मांगों को पूरा किया है या नहीं। पाल ने कहा, 15 जनवरी की बैठक में यह भी चर्चा होगी कि एसकेएम को राष्ट्रीय स्तर के मोर्चा के रूप में कैसे पेश किया जाए। जो किसान नेता राजनीति में जाना चाहते हैं, उन्हें एसकेएम छोड़ देना चाहिए। एसकेएम गैर राजनीतिक रहेगा। उन्होंने कहा कि एसकेएम ने 19 नवंबर को 60 प्रतिशत जीत हासिल की थी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा की थी और गुरुवार को 35 प्रतिशत जीत हासिल की।
उन्होंने संकेत दिया कि शेष पांच प्रतिशत जीत तब प्राप्त होगी जब सभी मांगें मान ली जाएंगी। पाल ने यह भी कहा कि पंजाब में स्थिति बदलने के लिए किसानों को अब एक दबाव समूह बनाना चाहिए न कि राजनीतिक दल। एसकेएम में 40 किसान संघ शामिल हैं और इसने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई की।