देश में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के 75वें साल के उपलक्ष्य में सुप्रीम कोर्ट में लोक अदालत का आयोजन किया गया है। सोमवार (29 जुलाई) को लोक अदालत के पहले सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अध्यक्षता की। इसका आयोजन 29 जुलाई से 3 अगस्त तक किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील बार मेंबर कपिल सिब्बल ने सीजेआई के साथ बेंच शेयर की। लोक अदालत में जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन नायर भी मौजूद रहे।
CJI ने लोक अदालत में आए एक मामले का जिक्र करते हुए कहा- मुझे एक मामला याद है जिसमें पति ने पटियाला हाउस कोर्ट में तलाक का केस फाइल किया था। उसकी उसकी पत्नी ने भरण-पोषण की मांग और बच्चों की कस्टडी के लिए भी आवेदन किया था।
वे दोनों प्री-लोक अदालत में एक साथ आए थे। दोनों से बात की गई। इसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वे साथ रहेंगे। जब वे दोनों लोक अदालत के आए तो मैंने उनसे बात की। दोनों ने कहा कि उन्होंने खुशी-खुशी साथ रहने का फैसला किया है। पत्नी ने कहा कि मुझे भरण-पोषण नहीं चाहिए, हम बहुत खुशी से साथ रह रहे हैं।
मैं बार की तरफ नहीं बल्कि बेंच की तरफ बैठा हूं
कपिल सिब्बल ने कहा कि पहली बार मैं बार की तरफ नहीं बल्कि बेंच की तरफ बैठा हूं। यह सौभाग्य की बात है कि उन्हें इस तरह जजों के साथ बेंच शेयर करने का मौका मिला है। लोक अदालत स्थापित करने का कदम सुप्रीम कोर्ट का एक बड़ा कदम है।
हम न्याय करने के अपने प्रयासों में एकजुट
CJI ने कहा कि लोक अदालत का उद्देश्य छोटे-छोटे मामलों का निपटारा करना है। लोक अदालत पैनल में बार सदस्यों की उपस्थिति ने पूरे समाज को सही संदेश दिया है। हम न्याय करने के अपने प्रयासों में एकजुट हैं। इनमें खासकर से छोटे मामलों में शामिल लोगों के लिए एकजुट हैं। भविष्य में सुप्रीम कोर्ट में लोक अदालत संस्थागत हो जाएगी।