नई दिल्ली । देश की शीर्ष अदालत द्वारा देश की रक्षा जरूरतों के लिए हजारों करोड़ रुपए की परियोजना की अनुमति दिए जाने की सूरत में बुधवार को केंद्र और एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) से वैसे अतिरिक्त सुरक्षा उपाय सुझाने को कहा, जिनके कार्यान्वयन की जिम्मेदारी वह महत्वाकांक्षी चारधाम परियोजना को लागू करने वाली एजेंसियों को दे सकता है।
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि यह कहने के बजाय कि अतिरिक्त सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए, वह अदालत के आदेश में उन शर्तों को रखना चाहेंगे, जिनका पालन परियोजना की कार्यान्वयन एजेंसियों को करना होगा। केंद्र ने कहा कि वह पहले ही विभिन्न अध्ययन कर चुका है, जिसमें क्षेत्रों का भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण भी शामिल है और भूस्खलन की घटनाओं को कम करने के लिए कई कदम उठाए गये हैं।
हालांकि, केंद्र ने यह भी कहा कि अगर शीर्ष अदालत अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं होगी। गौरतलब है कि 12,000 करोड़ रुपए की लागत वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 900 किलोमीटर लंबी इसी परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चार पवित्र शहरों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने स्पष्ट किया कि उसने विवाद पर अपना मत नहीं बनाया है। साथ ही कहा कि वह जो सवाल पूछ रही है, वे इस मुद्दे पर संबंधित पक्षों से बेहतर प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए हैं।