कोलंबो । ड्रैगन के मंसूबों को लेकर पड़ोसी देश हमेशा ही आशंकाओं में रहते है। अब श्रीलंका में चीन के राजदूत क्यूई जेनहोंग ने भारी सुरक्षा के बीच एडम्स ब्रिज का दौरा किया। चीनी राजदूत देश के तमिल-बहुल उत्तरी प्रांत के दो दिवसीय सद्भावना दौरे पर थे। श्रीलंकाई नौसेना और थल सेना के सदस्यों की सुरक्षा के बीच राजदूत को एडम्स ब्रिज तक ले जाया गया।
एडम्स ब्रिज या राम सेतु उत्तर-पश्चिमी श्रीलंका और भारत में दक्षिणी तट से दूर रामेश्वरम के पास मन्नार के द्वीपों के बीच स्थित है। चट्टानों की श्रृंखला से निर्मित यह पुल 48 किलोमीटर लंबा है और मन्नार की खाड़ी को पाक जलडमरूमध्य से अलग करता है। राजदूत ने एडम्स ब्रिज के उस स्थान दौरा किया, जो श्रीलंका के तट से लगभग 17 मील की दूरी पर स्थित है। हाल के दिनों में किसी चीनी राजदूत द्वारा उत्तरी जाफना प्रायद्वीप की यह पहली यात्रा थी। इससे पहले भारत के कड़े विरोध के बाद चीन ने श्रीलंका में हाईब्रिड एनर्जी सिस्टम परियोजना के निर्माण को रोक दिया था।
इन हाईब्रिड एनर्जी सिस्टम को 3 उत्तरी द्वीपों पर बनाया जाना था जो भारत के बेहद करीब हैं। इससे पहले जनवरी में भारत ने श्रीलंका से चीनी कंपनी को सोलर पावर प्लांट बनाए जाने का ठेका दिए जाने पर विरोध दर्ज कराया था। श्रीलंका ने हाल ही में कोलंबो बंदरगाह पर ईस्ट कंटेनर डिपो के निर्माण का ठेका चीन की कंपनी को दिया है। श्रीलंका ने पहले इस कंटेनर डिपो को बनाने का ठेका भारत और जापान को दिया था। श्रीलंका ने चीन की बजाय भारत से खाद लेने का समझौता किया। भारत ने तत्काल श्रीलंका को खाद की आपूर्ति भी कर दी। दरअसल, श्रीलंका को दुनिया के पहले पूरी तरह से जैविक खेती वाले देश में बदलने के प्रयास में महिंदा राजपक्षे की सरकार ने रसायनिक खादों के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया था। इसके ठीक बाद श्रीलंकाई सरकार ने चीन की जैविक खाद निर्माता कंपनी किंगदाओ सीविन बायो-टेक समूह के साथ लगभग 3700 करोड़ रुपए में 99000 टन जैविक खाद खरीदने का एक समझौता किया था।