जम्मू । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त किया कि पूर्वी लद्दाख गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान के लिए चीन और भारत के बीच चल रही बातचीत जारी रहेगी, जबकि भारतीय सैनिक इस क्षेत्र में पूरी 'मजबूती' के साथ खड़े हैं। सिंह ने सेना के शीर्ष कमांडरों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिकूल मौसम और 'शत्रुतापूर्ण ताकतों' का सामना करने वाले सैनिकों के वास्ते सर्वोत्तम हथियारों, उपकरणों और कपड़ों की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक राष्ट्रीय जिम्मेदारी है।
रक्षा मंत्री ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए सेना की सराहना भी की। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ''उत्तरी सीमाओं पर वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करते हुए, रक्षा मंत्री ने पूर्ण विश्वास व्यक्त किया कि सैनिक मजबूती से खड़े हैं और संकट के शांतिपूर्ण समाधान के लिए चल रही बातचीत जारी रहेगी।'' भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच 13वें दौर की सैन्य वार्ता समाप्त होने के दो सप्ताह बाद उनकी यह टिप्पणी आई है। वार्ता के बाद एक बयान में, भारतीय सेना ने कहा था कि वार्ता में उसके द्वारा दिए गए 'रचनात्मक सुझाव' पर न तो चीनी पक्ष ने सहमति जताई और न ही बीजिंग कोई अन्य प्रस्ताव प्रदान कर सका था। पाकिस्तान के साथ सीमा पर स्थिति का उल्लेख करते हुए, सिंह ने सीमा पार आतंकवाद से निपटने के वास्ते भारतीय सेना द्वारा की गई कार्रवाई की सराहना की।
भारतीय सेना के शीर्ष कमांडरों का चार दिवसीय सम्मेलन सोमवार को शुरू हुआ था और इसमें पूर्वी लद्दाख, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और जम्मू-कश्मीर सहित अन्य क्षेत्रों सहित भारत की सुरक्षा चुनौतियों की व्यापक समीक्षा की गई। रक्षा मंत्री ने परिचालन तैयारियों और क्षमताओं के उच्च स्तर के लिए बलों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने विभिन्न अग्रिम क्षेत्रों के दौरे के दौरान व्यक्तिगत रूप से इसका अनुभव किया। सिंह ने अपना कर्तव्य निभाने में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी ''बहादुर'' सैनिकों को श्रद्धांजलि दी उन्होंने कहा, ''सरकार युद्धक क्षमता बढ़ाने और सैनिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
'' उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में आत्मानिर्भर भारत की नीति सशस्त्र बलों की भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक बड़ा कदम है। उन्होंने इस लक्ष्य की दिशा में काम करने के लिए भारतीय सेना की सराहना की और कहा कि सेना द्वारा इसके 74 प्रतिशत ठेके 'आत्मनिर्भर भारत' पहल को ध्यान में रखते हुए 2020-2021 में भारतीय विक्रेताओं को दिए गए थे। उन्होंने कहा, 'क्षमता विकास और सेना की अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोई बजट की कोई बाधा नहीं है।