भोपाल । अपनी मांगों को लेकर प्रदेश भर के शिक्षकों का महासम्मेलन 25 दिसंबर को होने जा रहा है। राजधानी में होने वाले इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री को भी आमंत्रित किया गया है। वर्तमान में पुरानी पेंशन बहाली के लिए शिक्षक प्रदेशभर में मनोकामना यात्रा निकाल रहे हैं। जिसका समापन 25 दिसंबर को भोपाल में होगा। भोपाल आने से पहले शिक्षक बेतवा किनारे भोजपुर में स्थित प्राचीन शिव मंदिर में महादेव (भोजेश्वर शिव) के सामने पुरानी पेंशन की अर्जी लगाएंगे। शिक्षक 12 दिसंबर को भोजपुर पहुंच रहे हैं।
यहां भोपाल-नर्मदापुरम (होशंगाबाद) संभाग के शिक्षकों का सम्मेलन होगा।जिसमें भाजपा के स्थानीय जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है। इसके बाद 25 दिसंबर को शिक्षक भोपाल पहुंचेंगे, यहां महासम्मेलन आयोजित होगा। जिसमें मुख्यमंत्री को भी आमंत्रित किया जा रहा है। 25 दिसंबर को शिक्षक सीधे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपनी समस्या बताएंगे।भोपाल और नर्मदापुरम संभाग से भोजपुर लगभग पांच हजार शिक्षकों के आने की संभावना जताई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने कर्मचारी को अंतिम आहरित वेतन की 50 प्रतिशत राशि पेंशन के रूप देने की व्ववस्था वर्ष 2005 में समाप्त कर दी है।वर्ष 2011-12 में लागू अंशदान पेंशन योजना से शिक्षकों को नुकसान है। संघ के पदाधिकारी बताते हैं कि उन्हें वर्ष 2016 से छठवां वेतनमान मिला है। जबकि नियमित कर्मचारियों को वर्ष 2006 से। इसलिए अंशदान पेंशन योजना के लिए शिक्षकों से अब तक तीन से छह लाख रुपये की कटौती हो पाई है।
इनमें से 60 प्रतिशत राशि सेवानिवृत्ति के समय उन्हें दे दी जाती है और 40 प्रतिशत राशि पर आठ प्रतिशत की दर से ब्याज देकर पेंशन तय की जाती है। शिक्षकों ने पुरानी पेंशन के लिए पहली अर्जी सात नवंबर को रामराजा दरबार ओरछा में लगाई। इसके बाद महाकाल, ओंकारेश्वर नाथ, शारदा माता मैहर, पीतांबरा शक्तिपीठ दतिया में अर्जी लगा चुके हैं। अब भोजेश्वर महादेव के दरबार में अरदास करने की तैयारी है।
ज्ञात हो कि प्रदेश में दो लाख 85 हजार शिक्षक हैं। मध्य प्रदेश आजाद अध्यापक-शिक्षक संघ के बैनरतले होने वाले आंदोलन की रणनीति संघ ने किसी राजनीतिक दल की तरह बनाई है। शिक्षक सात नवंबर से प्रदेश के विभिन्न् धार्मिक स्थलों पर मनोकामना यात्रा के नाम से इकठ्ठे हो रहे हैं। वहां पूजा-अर्चना करते हैं और पुरानी पेंशन बहाली के लिए वहां एक अर्जी लगाकर आते हैं। इसके बाद उसी स्थान (क्षेत्र या शहर) पर सम्मेलन होता है। जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों (भाजपा के पदाधिकारी) को आमंत्रित किया जाता है। शिक्षक उन्हें अपने साथियों (जिन्हें सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन नहीं या डेढ़-दो हजार रुपये मिल रही है) और शिक्षक की मृत्यु के बाद उनके आश्रितों की व्यथा सुनाकर पुरानी पेंशन बहाली के लिए उनका भरोसा जीतते हैं।