बताया जाता हैं कि प्रथम पूजा आदिगुरु शंकराचार्य ने की थी, कुछ पुराने दस्तावेजों के आधार पर कहा जाता है कि मां शारदा की प्रथम पूजा आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी । मैहर पर्वत का नाम प्राचीन धर्मग्रंथ ''महेन्द्र'' में मिलता है। इसका उल्लेख भारत के अन्य पर्वतों के साथ पुराणों में भी आया है।
मां शारदा की प्रतिमा के ठीक नीचे के न पढ़े जा सके शिलालेख भी कई पहेलियों को समेटे हुए हैं। पिरामिडाकार त्रिकूट पर्वत में विराजीं मां शारदा का यह मंदिर 522 ईसा पूर्व का है। कहते हैं कि 522 ईसा पूर्व चतुर्दशी के दिन नृपल देव ने यहां सामवेदी की स्थापना की थी, तभी से त्रिकूट पर्वत में पूजा-अर्चना का दौर शुरू हुआ था।
जितेश जैन - मैने कई दर्शनार्थियों से बात की है।उनका कहना है की दर्शन मात्र से ही माता इच्छित फल देती है। कई भक्त यहां दोनो नवरात्रि विगत कई वर्षों से आ रहे हैं जिनकी मुरादें बिना मांगे माता ने पूरी की है।