नई दिल्ली/भोपाल, । लोकलेखा समितियों की शक्ति का दायरा बढ़ाया जाय। भारत की लोक लेखा समिति के दो दिवसीय शताब्दी समारोह में यह दलील है मप्र विधानसभा की। संसद भवन के सेंट्रल हाल नई दिल्ली में लोकसभा द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में देशभर की विधानसभाओं के अध्यक्ष व लोकलेखा समितियों के अध्यक्ष शामिल हुए थे। मप्र का प्रतिनिधित्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम की उपस्थिति में लोकलेखा समिति के अध्यक्ष पीसी शर्मा ने किया। कार्यक्रम के अंतिम दिन रविवार सदस्य द्वय रामपाल सिंह व राजेन्द्र शुक्ला के साथ प्रमुख सचिव एपी सिह भी शामिल हुए।
इस दो दिवसीय आयोजन के पहले दिन मप्र ने लोकलेखा समितियों के वर्तमान समय में कार्यप्रणाली और चुनौतियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए मांग की है कि समिति के परीक्षण का क्षेत्राधिकार शासन के विभागों तक सीमित न रखा जाय, बल्कि इसके दायरे में गैर-सरकारी वित्त माध्यमों को भी लाया जाय।
महत्वपूर्ण है कि अभी तक यह समिति महालेखाकार द्वारा इन विभागों के अंकेक्षण के आधार पर निर्मित आक्षेपों के संबंध में प्रस्तुत राजस्व प्राप्तियां, सिविल एवं आधिक्य संबंधी प्रतिवेदनों में निहित कंडिकाओं का परीक्षण मात्र करती है। यही कारण है कि यहां लोकलेखा समिति की प्रणालियों को मजबूत करने और सुशासन को बढ़ावा देने को लेकर भी मप्र का पक्ष रखा गया। जिसमें सिफारिशों के सख्त अनुपालन के लिए समयसीमा और प्रशासनिक तंत्र की मौजूदा व्यवस्था प्रमुख रही है।