नई दिल्ली । हरियाणा में जल्द ही गाड़ियों को लेकर ऑड-ईवेन का फॉर्मूला लागू किया जा सकता है।
गुरुग्राम में राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि हरियाणा सरकार गाड़ियों के लिए ऑड-ईवेन फॉर्मूला लागू करने पर विचार कर रही है। सीएम ने कहा, 'हमने एक कमेटी भी बनाई है जिसमें इंजीनियर, गुरुग्राम म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन कमिश्नर और डीसी को शामिल किया गया है।
यह कमेटी प्रदूषण कम करने के उपायों पर गंभीर से विचार करेगी। हरियाणा सरकार के ऑड-ईवेन फॉर्मूले पर विचार करने के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट की उन तल्ख टिप्पणियों से भी जोड़ कर देखा जा रहा है कि जिसमें उच्चतम न्यायालय ने प्रदूषण की रोकथाम में नाकाम रहने पर दिल्ली, हरियाणा और पंजाब जैसे अन्य राज्यों को कड़ी फटकार लगाई थी। दिल्ली में प्रदूषण के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों व केंद्र के रुख पर नाराजगी व्यक्त की थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि प्रदूषण को कंट्रोल करने को लेकर सिर्फ बैठक हो रही है, ठोस उपाय नहीं हो रहे हैं। कोर्ट ने कहा था कि प्रदूषण कैसे कम हो इस पर ठोस उपाय किया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि लोगों को सार्वजनिक वाहनों का विकल्प उपलब्ध कराएं। कुछ दिन के लिए प्राइवेट गाड़ियों पर रोक क्यों ना लगा दी जाए। इस मुद्दे पर मंगलवार को अदालत में हरियाणा सरकार की तरफ से कहा गया कि आयोग की तरफ से जो भी सुझाव दिया गया था उसे लागू किया गया। हरियाणा सरकार के वकील ने कहा था कि आगे जो भी आदेश दिया गया उसका पालन किया जाएगा। पराली के मुद्दे पर कहा गया था कि मुख्य सचिव और जिलाधिकारियों का जायजा लिया जा रहा है, ताकि इन 2 हफ्तों में पराली न जलाई जा सके। भी सुनवाई के दौरान वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख नजर आया।
उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र और राज्यों को वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए एक बैठक में लिए गए फैसलों के क्रियान्यवन को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। साथ ही न्यायालय ने काम में ढिलाई बरतने को लेकर नौकरशाही की आलोचना करते हुए कहा कि उसने 'निष्क्रियता' विकसित की है और कोई फैसला नहीं करना चाहती तथा वह हर चीज अदालत के भरोसे छोड़ना चाहती है। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, ''अब बहुत हो गया है।
हम इस मुद्दे की पूरी बारीकियों में नहीं जा सकते। आप कृपया आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कदम उठाएं।''प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ''काफी समय से मैं यह महसूस कर रहा हूं कि नौकरशाही में एक तरह की निष्क्रियता विकसित हो गई है। वह कोई निर्णय लेना नहीं चाहती। किसी कार को कैसे रोकें, किसी वाहन को कैसे जब्त करें, आग पर कैसे काबू पाएं, यह सब कार्य इस अदालत को करना है। हर काम हमें ही करना होगा। यह रवैया अधिकारी वर्ग ने विकसित किया है।