रास्ता नहीं होने से कोई वाहन गांव तक नहीं आ पाता, ऐसे में ग्रामीण कपड़े की झोड़ी में उन्हें लेटाकर इलाज के लिए 10 किमी दूर ले जा रहे थे। लेकिन रास्ते में महिला ने दम तोड़ दिया।
ग्राम पंचायत बड़की चौकी के सरपंच छन्नूलाल वर्मा ने बताया 70 साल बाद भी हमारे गांव पहुंचने के लिए रास्ता नहीं बना है। हमें बीमार या गर्भवती महिला को इसी तरह झोली बनाकर ले जाना पड़ता है। हमारे गांव से बागोद का हॉस्पिटल करीब 10 किमी दूर है।
600 की आबादी वाले देवगढ़ गांव में कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं पहुंचती है। सरपंच ने कहा सुबह से बीमार बुजुर्ग किरपाल वारिया को झोली बनाकर निकले थे। पहाड़ी पथरीला रास्ता पार कर मंडलेश्वर के पास पहुंच गए थे, लेकिन रास्ते में बुजुर्ग ने दम तोड़ दिया। सरपंच ने कहा लंबे समय से मार्ग बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
गांव में बीमार बुजुर्ग महिला की समय पर इलाज नहीं मिलने से जान चली गई। ग्रामीणों ने उन्हें कपड़े की झोली में लेटाकर अस्पताल तक ले जाने की कोशिश की, लेकिन रास्ते में ही उनकी जान चली गई। गांव तक के लिए रास्ता होता तो यहां एंबुलेंस पहुंच पाती और बुजुर्ग महिला की जान बच सकती थी।