सागर । जैसे उज्जैन धर्म की नगरी है, वैसे ही सागर भी ज्ञान-दान की नगरी है। मातृभाषा में जो आनंद है, वह किसी अन्य भाषा में नहीं आता। बच्चे के मस्तिष्क की कोमल तंत्रिका पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ता है। आगे आने वाले समय में हमारे महाविद्यालय, विश्वविद्यालय के रूप में जाने जायेंगे, जो अपना सिलेबस स्वयं बनायेंगे तथा अपनी डिग्री देंगे। विश्वविद्यालय परीक्षा केन्द्र हो गये हैं। जबकि उन्हें सर्वांगीण विकास का केन्द्र होना चाहिए। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से इसमें आमूलचूल परिवर्तन आयेगा। उक्त विचार उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर एक दिवसीय संभागस्तरीय कार्यशाला का आयोजन स्वर्ण जयंती संभागार में व्यक्त किए।
इस अवसर पर पूर्व सांसद लक्ष्मीनारायण यादव, गौरव सिरोठिया, डॉ अजय तिवारी, स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति डॉ अनिल तिवारी, कलेक्टर
दीपक आर्य, नगर निगम
आयुक्त आरपी अहिरवार, संभाग के
सभी महाविद्यालयों के प्राचार्य उपस्थित थे।
मंत्री डॉ यादव ने कहा कि नई शिक्षा नीति लागू कर प्रदेश गौरवान्वित हुआ है। इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई अब हिंदी में भी होगी।
स्वागत भाषण देते हुये अपर आयुक्त उच्च शिक्षा दीपक सिंह ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर अपने
विचार व्यक्त किये। प्रभारी आयुक्त दीपक सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर सृजित होंगे। प्रभारी आयुक्त सिंह ने कहा कि डॉ हरिसिंह गौर ने जो सागर के लिए शिक्षा का दान दिया है वह अद्भुत है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि सागर सांसद राजबहादुर सिंह ने कहा कि डॉ. हरीसिंह
गौर ने जो विश्वविद्यालय की परिकल्पना को साकार किया है उससे सागर कस्बे से शहर बन गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू
होने से शैक्षणिक वतावरण में बदलाव आयेगा।
विशिष्ट अतिथि विधायक शैलेन्द्र जैन ने कहा कि हमे गर्व है कि मध्यप्रदेश राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने में अग्रणी राज्य बना है। ऐसी कार्यशाला मे आये विद्ववतजनों के विचारों के मंथन से राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सार्थक, सारगर्भित
तथा व्यवहारिक बनाया जा सकेगा।
मैकाले ने जो शिक्षा पद्धति हमें दी उससे राष्ट्रीय चरित्र का पतन हुआ और ज्ञानी व प्रज्ञावान पुरूष कम हो गये। भारत को विश्वगुरू बनाने के लिए भारतीय शिक्षण पद्धति को ही लाना होगा। विशिष्ट अतिथि गौरव सिरोठिया ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति चरित्र निर्माण की पाठशाला बनेगी तथा इससे निकलने वाले विद्यार्थी राष्ट्र निर्माण करेंगे।
कार्यशाला के आयोजन की समस्त रूपरेखा तैयार डॉ. जी. एस.
रोहित अतिरिक्त संचालक द्वारा की गई।
द्वितीय सत्र में भोपाल से आये विषय विशेषज्ञ डॉ. धीरेन्द्र
शुक्ला विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी एवं डॉ. अजय प्रकाश खरे ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर विशिष्ट व्याख्यान देने के साथ सभागार में उपस्थित विद्यार्थियों, विद्वानजन
तथा अभिभावकों के प्रश्नों के संतुष्टीपूर्ण उत्तर दिये। डॉ. पूर्णिमा
लोधवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम में दो करोड़ रूपये की राशि दान करने पर मंत्री डॉ मोहन यादव ने गुलझारी जैन का अभिनंदन किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अरविन्द
जैन ने किया तथा आभार डॉ. इमराना सिद्धीकी ने माना।
कार्यक्रम में डॉ. एल.एल.कोरी,
डॉ. के. पी.
अहिरवार, डॉ. गोपाल
चैधरी, डॉ. ए.सी.
जैन, डॉ. संजीव
दुबे, डॉ. नीरज
दुबे, डॉ. राजेश
जैन, डॉ. शैलेश
आचार्य, डॉ. मधुस्थापक, डॉ उमाकान्त स्वर्णकार, डॉ. संदीप
सबलोक, डॉ. अंकुर
गौतम, डॉ. संदीप
तिवारी सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे।