इस संबंध में अस्पताल अधीक्षक डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्रसूति प्रतीक्षालय में उन गर्भवती महिलाओं को रखा जाएगा, जिन्हें प्रसव पीड़ा के पहले कुछ बीमारी या शारीरिक समस्याएं हैं। उन्हें यहां 10 दिनों तक भर्ती किया जाएगा। प्रतीक्षालय में आठ बिस्तर हैं, जहां सभी सुविधाएं दी गई हैं। इसमें गर्भवती महिलाओं को उपचार सहित सभी सेवाएं निश्शुल्क दी जाएंगी।
बता दें कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा यह प्रसूति प्रतीक्षालय दुर्गम क्षेत्रों और अत्यधिक होम डिलीवरी वाले क्षेत्रों में बनाए जा रहे हैं, जहां हाई रिस्क महिलाओं को सही समय पर उपचार मिल सके। इसके लिए अगले वर्ष तक 51 जिलों में 249 चिन्हित डिलीवरी प्वाइंट पर प्रसूति प्रतीक्षालय बनाने की तैयारी है। इसकी स्थापना राज्य के समस्त 51 जिला चिकित्सालय, 47 जिलों के 71 सिविल अस्पताल एवं 127 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में की जाएगी, जो दुर्गम क्षेत्रों में हैं।
संस्थागत प्रसव को मिलेगा बढ़ावा
दरअसल, प्रदेश के कई क्षेत्रों में महिलाएं स्वास्थ्य सुविधाओं से बहुत दूर दुर्गम क्षेत्रों में रहती हैं, जहां अत्यधिक होम डिलीवरी की जाती है। इन क्षेत्रों में मातृ मृत्यु दर ज्यादा है। इसके लिए संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रसूति प्रतीक्षालय का संचालन शुरू किया जा रहा है। यहां उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं को प्रसूति प्रतीक्षालय में भर्ती किया जाएगा। जहां सुमन हेल्प डेस्क एवं आशा के माध्यम से गर्भवती महिलाओं की जांच के साथ बीमारियों को ब्यौरा लिया जाएगा।
प्रसूति प्रतीक्षालय में ये होंगी सुविधाएं
- प्रसूति प्रतीक्षालय में मेटरनिटी विंग, एंटी नेटल वार्ड और मेटरनिटी वार्ड होंगे।
- यहां आठ से दस बिस्तर की सुविधा होगी।
- वार्ड में नर्सिंग स्टेशन होंगे।
- पर्याप्त वेंटिलेशन और एसी लगाए जाएंगे।
- वार्मर के साथ तापमान मापने के लिए होम थर्मामीटर का उपयोगा किया जाएगा।
- गोपनीयता के लिए बेड साइड स्क्रीन होगी।