ओडिशा के पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर के भीतरी रत्न भंडार में रखा खजाना गुरुवार (18 जुलाई) को निकाल लिया गया। इस काम के लिए राज्य सरकार की तरफ से गठित हाई कमेटी के 11 सदस्य गुरुवार सुबह 9:15 बजे भीतरी भंडार के अंदर गए।
उन्हें यहां मोटे कांच की तीन और लोहे की एक (6.50 फुट ऊंची, 4 फुट चौड़ी) अलमारियां मिलीं। इसके अलावा 3 फीट ऊंचे और 4 फीट चौड़े लकड़ी के दो संदूक और एक लोहे का संदूक था। सभी के अंदर कई सारे बॉक्स रखे हुए थे, जिनमें सोना था।
टीम के एक सदस्य ने एक बॉक्स को खोलकर देखा। इसके बाद अलमारी और संदूकों को बाहर निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन वो इतने भारी थे कि जगह से हिले तक नहीं। फिर तय हुआ कि सभी बॉक्स से खजाने को निकालकर महाप्रभु के शयन कक्ष में शिफ्ट किया जाए। टीम को इस काम को करने में 7 घंटे लग गए।
दोनों भंडारों में मिले सोने की कीमत 100 करोड़ से ज्यादा
जगन्नाथ संस्कृति विशेषज्ञ भास्कर मिश्र ने बताया कि बाहरी कक्ष में मिले रत्न और पत्थरों का हिसाब लगाना आसान नहीं है। हालांकि, दोनों भंडारों में जो सोना मिला है, उसकी प्रारंभिक अनुमानित कीमत 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा हो सकती है।
जस्टिस विश्वनाथ रथ के मुताबिक सभी सदस्य पूरे दिन उपवास पर रहे। अंदर का दरवाजा ट्रेजरी से आई चाबी से खोला गया। पूरे कमरे में अंधेरा था, इसलिए इस बार टीम रेडियम के साथ हैलोजन लाइट्स ले गई थी। लाइट्स ऑन होते ही पूरा भंडार रोशन हो गया।
बाहरी भंडार का सामान 6 संदूकों में सील किया गया
इससे पहले रविवार (14 जुलाई) को 46 साल बाद रत्न भंडार को खोला गया था, जिसमें आउटर रत्न भंडार का सामान 6 संदूकों में शिफ्ट करके सील किया गया था। इसमें रखा सोना-चांदी स्ट्रॉन्ग रूम में शिफ्ट किया जा चुका है।
उसी दिन भीतरी रत्न भंडार खोला गया था। तब दरवाजा खोलते हुए काफी मात्रा में चमगादड़ निकलीं थीं। अंदर अंधेरा था और गंदगी थी, इसलिए समिति ने पूरे इंतजामों के साथ चार दिन बाद भीतरी रत्न भंडार दोबारा खोलना तय किया था।
अब आगे क्या
गजपति महाराज दिव्यसिंह देव ने बताया कि भंडार घर में ताला लगाकर चाबी सरकारी ट्रेजरी में दे दी है। बाहरी और भीतरी रत्न भंडार का सारा कीमती सामान शयन कक्ष में है। दोनों भंडार ASI को सौंपे जाएंगे। वो दीवारों की लेजर स्कैनिंग करके इनकी मरम्मत का खाका तैयार करेगी।
रत्न भंडार में न सांप मिला और न ही सुरंग, प्रशासक बोले- सब अफवाह थी
मंदिर प्रशासक और समिति सदस्य अरविंद पाढ़ी ने बताया कि भीतरी रत्न भंडार में न सांप दिखे और न ही किसी सुंरग का सुराग मिला। यह सब कोरी अफवाह थी। सोना और आभूषणों की लिस्टिंग और ऑडिट पर अभी फैसला नहीं हुआ है। स्नेक हेल्पलाइन के सदस्य सुवेंदु मलिक ने बताया कि हम पूरे समय भंडार कक्ष के बाहर मौजूद रहे।
चाबियां गुमीं, इसलिए 2018 में नहीं खुल सका था रत्न भंडार
ओडिशा हाईकोर्ट ने 2018 में राज्य सरकार को रत्न भंडार खोलने के लिए निर्देश दिए थे। हालांकि, 4 अप्रैल 2018 को कोर्ट के आदेश पर जब 16 लोगों की टीम रत्न भंडार के चेंबर तक पहुंची तो उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ा, क्योंकि ये दावा किया गया कि रत्न भंडार की चाबी खो गई है।
चाबी नहीं मिली तो हंगामा हुआ जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने 4 जून 2018 को न्यायिक जांच के आदेश दिए। जांच कमेटी ने 29 नवंबर 2018 को चाबी से जुड़ी अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी, लेकिन सरकार ने इसे सार्वजनिक नहीं किया और चाबी का कुछ पता नहीं चल सका।
2018 में तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना ने विधानसभा में बताया था कि रत्न भंडार में 12,831 भरी (एक भरी 11.66 ग्राम के बराबर) से ज्यादा सोने के जेवर हैं। इनमें कीमती पत्थर लगे हैं। साथ ही 22,153 भरी चांदी के बर्तन और अन्य सामान हैं। पिछले साल अगस्त में जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति ने राज्य सरकार से सिफारिश की थी कि रत्न भंडार 2024 की वार्षिक रथ यात्रा के दौरान खोला जाए।