नई दिल्ली । पूर्वोत्तर भारत में विश्व का सबसे ऊंचा रेल पुल बनाया जा रहा है। इसकी ऊंचाई 141 मीटर होगी, जो कि कुतुबमीनार से लगभग दोगुनी है। 110 किलोमीटर लंबी जिरीबाम-इंफाल रेल लाइन परियोजना के तहत नोने जिले में इसका निर्माण किया जा रहा है। इस क्षेत्र के इको सेंसिटिव जोन होने के कारण पुल को भूकंपरोधी बनाया जा रहा है। यह रिक्टर स्केल पर 8.5 तीव्रता के भूकंप के झटके आसानी से सह सकता है। यह परियोजना दिसंबर 2023 में पूरी हो जाएगी। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे जोन के अधिकारियों ने बताया कि जिरीबाम-इंफाल परियोजना के 110.625 किलोमीटर सेक्शन बेगायचंपो में 12 किलोमीटर ट्रैक बिछाया जा चुका है।
इस सेक्शन पर ट्रेन परिचालन शुरू कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि मणिपुर की बड़ी आबादी इंफाल में रहती है। इस ट्रैक पर मालगाड़ी चलने से लोगों को आवश्यक खाद्य सामग्री, दवाइयां, पेट्रोलियम पदार्थ और इलेक्ट्रिॉनिक सामान आदि की तेजी से आपूर्ति संभव हो पाएगी। नोने रेल पुल परियोजना के प्रभारी संदीप शर्मा ने बताया कि जिरीबाम-इंफाल परियोजना पर छोटे-बड़े 151 रेल पुलों का निर्माण किया जा रहा है। इसमें विश्व के सबसे ऊंचे नोने रेल पुल के लिए सात पिलर का निर्माण किया जा रहा है।
पांच पिलर बन चुके हैं और दो पर काम जारी है। दो पिलर की ऊंचाई 141 मीटर है। बाकी इससे छोटे हैं। पिलर के ऊपर रेल ट्रेक बिछाने के लिए ढांचा रखा जाएगा, जिससे यह पुल कुतुबमीनार से दो गुना ऊंचा हो जाएगा। इस पुल की लंबाई 703 मीटर है। इस परियोजना में 46 टनल बनेंगी। संदीप शर्मा के मुताबिक, जिरीबाम-इंफाल परियोजना का 80 फीसदी काम पूरा हो चुका है। परियोजना पर कुल 14,322 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसमें 11 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। इससे मणिपुर-असम के बीच रेल कनेक्टिविटी बनेगी।