नोएडा । उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा की एक फर्म द्वारा 127 करोड़ रुपये की कर चोरी के मामले में मिलीभगत के आरोप में वाणिज्य कर विभाग के चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इससे विभाग को करोड़ों रुपये राजस्व का नुकसान हुआ है। अपर मुख्य सचिव वाणिज्य कर संजीव मित्तल ने इसकी पुष्टि की है। गौतमबुद्धनगर विशेष अनुसंधान शाखा (एसआईबी) में तैनात रहने के दौरान एडिशनल कमिश्नर ग्रेड-2 धमेंद्र सिंह, ज्वाइंट कमिश्नर दिनेश दुबे, डिप्टी कमिश्नर मिथिलेश मिश्रा और असिस्टेंट कमिश्नर सोनिया श्रीवास्तव ने फर्म मालिक को लाभ पहुंचान की नियत से कर चोरी की अनदेखी की।
इसकी प्रारंभिक पुष्टि होने पर उन्हें निलंबित किया गया है। मामला जनवरी-2020 का है। शासन को शिकायत मिली थी कि नोएडा स्थित तंबाकू की एक कंपनी द्वारा बड़े पैमाने पर कर चोरी की गई है। शासन के निर्देश पर नोएडा के तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर सीबी सिंह को जांच सौंपी गई। जांच रिपोर्ट में फर्म द्वारा की गई कर चोरी के मामले में इन चारों अधिकारियों की मिलीभगत की बात कही गई। मेरठ के सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) राजेश कुमार श्रीवास ने औरैया के बेसिक शिक्षा अधिकारी के पद पर रहते हुए कार्यालय में प्रतिनियुक्ति पर तैनात लिपिक प्रबुद्ध कुमार को तीन साल तक कार्यमुक्त नहीं किया।
इस मामले में तत्कालीन बीएसएस श्रीवास को परिनिंदा प्रदान करते हुए प्रकरण को समाप्त कर दिया। वहीं वीरेन्द्र प्रताप सिंह ने डायट मऊ के प्राचार्य पद पर रहते हुए सहायक भरत प्रसाद के जीपीएएफ खाते से उपलब्ध धनराशि से अधिक धनराशि निकाले जाने की स्वीकृति की थी। उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। इसी तरह के एक अन्य मामले में अजय कुमार सिंह से स्पष्टीकरण मांगा गया है। भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) विद्या किशोर को गुरुवार को निलंबित कर दिया गया। रामपुर में क्षेत्राधिकारी (सीओ) के पद पर तैनाती के दौरान उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। वर्तमान में वह पीटीसी सीतापुर में डीएसपी के पद पर तैनात हैं।
रामपुर में सीओ नगर के पद पर तैनाती के दौरान विद्या किशोर का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उनके द्वारा कथित तौर पर पांच लाख रुपये रिश्वत मांगे जाने की बात सामने आई थी। इसके बाद उन्हें 28 अक्तूबर को हटा दिया गया था। उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) ने शासन से प्रयागराज के तत्कालीन एसएसपी अभिषेक दीक्षित के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति मांगी है। भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित चल रहे दीक्षित को भ्रष्टाचार समेत अन्य मामलों में दोषी पाया गया है।
दीक्षित तमिलनाडु कैडर के आईपीएस हैं और प्रति नियुक्ति पर यूपी में तैनात हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सितंबर 2020 में प्रयागराज के तत्कालीन एसएसपी अभिषेक दीक्षित को निलंबित करते हुए भ्रष्टाचार के आरोपों समेत आय से अधिक संपत्ति की भी जांच करने के निर्देश दिए थे। विजिलेंस की प्रारंभिक जांच में उन्हें विभागीय अनियमितता बरतने का दोषी ठहराया था। विजिलेंस जांच में उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों का ठीक ढंग से अनुपालन नहीं कराने का दोषी पाया था। इसके अलावा वह प्रशासनिक आधार पर स्थानान्तरित किए गए स्टेनो को बैकडेट में छुट्टी देने के भी दोषी पाए गए थे। उनके कार्यकाल में थानेदारों की तैनाती में भ्रष्टाचार की शिकायतें भी सामने आई थीं।