अमेरिका की सबसे कठिन मानी जाने वाली प्रतियोगिता ‘स्क्रिप्स नेशनल स्पेलिंग बी’ का खिताब 13 साल के भारतीय-अमेरिकी छात्र फैजान जकी ने जीत लिया है। फ्रेंच शब्द ‘eclaircissement’ (एक्लेयरसिसमेंट) का सही उच्चारण करके उन्होंने खिताब अपने नाम किया।
एक्लेयरसिसमेंट एक फ्रांसीसी शब्द है जिसका मतलब है, किसी चीज को स्पष्ट करना या समझ में लाना।
पिछले साल फैजान इस प्रतियोगिता में दूसरे नंबर पर रहे थे। तब वह टाईब्रेकर में ब्रुहत सोमा से हार गए थे। फैजान 5वें ऐसे प्रतिभागी हैं,जिन्होंने रनर-अप रहने के अगले साल खिताब जीता। 2001 में सीन कॉनले के बाद ऐसा पहली बार हुआ है।
'स्पेलिंग बी' में प्राइमरी और सेंकेंडरी स्कूलों के छात्र हिस्सा लेते हैं। यह शब्दों के सही स्पेलिंग बताने से जुड़ी प्रतियोगिता है।
जीत के बाद मिले 45 लाख रुपए
फैजान को इनाम के तौर पर 52,500 डॉलर ( करीब 45 लाख रु.) मिले हैं। पिछले साल उन्होंने 25,000 डॉलर (21.29 लाख रुपए) जीते थे, जिससे अब उनकी कुल इनामी राशि 77,500 डॉलर (66.31 लाख रुपए) हो गई है।
आखिर में मुकाबला तीन लोगों के बीच था- फैजान, 11 साल के सर्व धरावने और 14 साल की सर्वदन्या कदम। एक और राउंड के बाद सिर्फ फैजान और सर्वदन्या बचे। इसके बाद फैजान ने ‘एक्लेयरसिसमेंट’ शब्द की सही स्पेलिंग बताई और जीत गए। उन्होंने जैसे ही सही स्पेलिंग बोली, खुशी से अपनी मुट्ठियां पीटीं और मंच पर गिर पड़े। फैजान ने इस बार 21 राउंड तक लगातार सही स्पेल किया और जीत हासिल की।
रोजाना 6 घंटे प्रैक्टिस
फैजान ने पहली बार 7 साल की उम्र में स्पेल बी में हिस्सा लिया था। 2023 में वह वोकैब राउंड में बाहर हो गया था। इस बार तैयारी में बदलाव किया। 30 शब्दों की साझा सूची से ज्यादा से ज्यादा शब्द याद किए और 90 सेकंड में ज्यादा शब्द स्पेल करने की प्रैक्टिस की।
स्पीड प्रैक्टिस को भी दिनचर्या में शामिल किया। सालभर में अपनी दिनचर्या पूरी तरह से स्पेलिंग बी के लिए समर्पित कर दी थी। वह रोजाना 6 घंटे प्रैक्टिस करता था। हर दिन नए शब्द पढ़ना, उनकी स्पेलिंग व अर्थ समझना और उन्हें बार-बार दोहराना उसकी आदत बन गई थी।
इस जोरदार प्रैक्टिस का नतीजा यह रहा कि फाइनल में बिना हिचकिचाहट के विजयी शब्द को सही स्पेल कर सका।
डिक्शनरी का हर कोना पता
फैजान को गाइड करने वाले स्कॉट रेमर, सैम इवांस और सोहम सुखांतंकर हैरान थे कि मंच पर वह रोबोटिक नहीं बना। सहजता व मजे के साथ प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। कोच सैम इवांस ने कहा,‘स्पेलिंग्स को लेकर उसकी दीवानगी देखते बनती है।’
पिता अनवर कहते हैं, उसे डिक्शनरी का हर कोना पता है। मां अर्शिया कहती हैं, फैजान ने 2 साल की उम्र में पढ़ना शुरू कर दिया था। 3 साल की उम्र में दुनिया के देश और उनकी राजधानियों के नाम याद कर लिए थे। अर्शिया कहती हैं, वह कभी-कभी जल्दबाजी करता है, इसलिए डर था। पर इस बार दबाव अच्छी तरह हैंडल किया।
दोस्त बोले- उसे अवार्ड की कोई चिंता नहीं थी
फैजान के दोस्त और पिछली बार उसे हराने वाले सोमा ने कहा- मुझे नहीं लगता कि उसे खिताब की उतनी परवाह है, जितनी भाषा व शब्दों के लिए दीवानगी है। खाली वक्त में भी, जब वह तैयारी नहीं कर रहा होता... तो पुराने, अप्रचलित शब्दों को खोजता है, जिनके पूछे जाने की कोई संभावना नहीं है। यही बात उसे बाकी लोगों से अलग करती है।
लगातार चौथी बार भारतीय विजेता
2022 में हरिनी लोगन ने प्रतियोगिता जीती थी। 2023 में देव शाह और 2024 में ब्रुहत सोमा विजयी रहे। 2025 में फैजान ने यह परंपरा जारी रखी। पहले रनरअप सर्वदन्य कदम और दूसरे सर्व धरावने रहे। इस मुश्किल प्रतियोगिता में पिछली 36 में से 30 बार भारतीय मूल के बच्चे ही विजयी रहे हैं। यह जीत इसलिए भी खास है क्योंकि स्पेल बी का यह 100वां संस्करण था।
'नेशनल स्पेलिंग बी' प्रतियोगिता की शुरुआत 1925 में की गई थी। स्क्रिप्स के मुताबिक, पहली प्रतियोगिता 1925 में वाशिंगटन, डीसी में आयोजित की गई थी और इसमें सिर्फ नौ बच्चों ने भाग लिया था। ग्यारह साल के फ्रैंक न्यूहॉसर को जीते के तौर पर 500 डॉलर के सोने के सिक्के दिए गए।
बालू नटराजन स्पेलिंग बी जीतने वाले पहले भारतवंशी
बालू नटराजन नाम के पहले भारतवंशी छात्र ने 1985 में इस खिताब को जीता था। इसके बाद रागेश्री रामचंद्रन ने 1988 में जीत हासिल की।