श्रीनगर । जम्मू-कश्मीर की नियंत्रण सीमा रेखा (एलओसी) के सटे गुलाम कश्मीर के कई इलाकों में बड़ी संख्या में अफगानी सिमकार्ड सक्रियता ने भारतीय सेना की चिंताएं बढ़ा दी हैं। सेना को गर्मियों तक इंतजार करना होगा क्योंकि ऐसा लग रहा है कि उस समय जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की कोशिश की जाएगी। सेना की डैग्गर डिवीजन के जीओसी मेजर जनरल अजय चांदपुरिया ने बारामुला में पत्रकारों के सवालों के जवाब में बताया कि अफगानिस्तान से पाकिस्तान व गुलाम कश्मीर में लौटे आतंकियों की जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की आशंका पर कहा कि यह एक गंभीर चिंता का विषय है।
हमारे पास उपलब्ध खुफिया सूचनाओं के अनुसार, गुलाम कश्मीर में अफगानी आतंकियों के अलावा तालिबान के साथ अमेरिकी फौज के खिलाफ लड़ने वाले जैश, अल-बदर और कई तालिबानी आतंकी भी बीते छह सात माह के दौरान नजर आए हैं। ये आतंकी अपने साथ अमेरिकी सैनिकों द्वारा छोड़े गए हथियारों के जखीरे का एक हिस्सा लेकर आए हैं। एलओसी के साथ सटे गुलाम कश्मीर के इलाकों में बड़ी संख्या में अफगानी सिमकार्ड सक्रिय हैं। इसलिए हमें गर्मियों तक इंतजार करना होगा, उसी समय पता चलेगा कि क्या यह जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करेंगे या नहीं।
उन्होंने बताया कि गुलाम कश्मीर में पाकिस्तानी सेना के नियंत्रण में चलने वाले लांचिंग पैड पर करीब 100-150 आतंकी हैं। कुछ ऐसे आतंकी ट्रेनिंग शिविर भी दोबारा शुरू हुए हैं जो तीन साल पहले बंद हुए थे। वादी में करीब 150-170 आतंकी ही सक्रिय हैं, इनमें करीब 50 पाकिस्तानी हैं। स्थानीय आतंकियों में हायब्रिड आतंकी भी हैं, जो नयी चुनौती हैं। स्थानीय आतंकियों की भर्ती में कमी आ रही है।
उन्होंने कहा कि एलओसी पर संघर्ष विराम की पुनर्बहाली से दोनों तरफ के सीमांत नागरिकों को फायदा हुआ है। सीमांत किसान अपने खेतों में नजर आने लगे हैं। संघर्ष विराम की आड़ में पाकिस्तानी सेना ने एलओसी के अग्रिम हिस्सों में नए बंकर और नई चौकियां भी तैयार की हैं। उसने अपने बड़े हथियार भी तैनात किए हैं। हमारी इस पर नजर है और हमने भी इससे निपटने की पूरी तैयारी कर रखी है।