जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक की फिजिकल पेशी पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। जम्मू ट्रायल कोर्ट ने मलिक को फिजिकल पेशी का आदेश दिया था। इस आदेश को सुरक्षा का हवाला देते हुए CBI ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। फिलहाल हत्या और अपहरण के आरोप में मलिक तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।
इससे पहले 21 नवंबर (गुरुवार) को भी सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई थी। तब शीर्ष अदालत ने कहा था कि जब देश में आतंकी अजमल कसाब को फेयर ट्रायल मिल सकता है, तो यासीन मलिक को क्यों नहीं। वर्चुअल माध्यम से सुनवाई के लिए जेल में ही स्पेशल बेंच बनाने की बात कही गई थी।
21 नवंबर को पिछली सुनवाई में 3 बड़ी बातें...
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- सुनवाई के लिए जेल में ही बने स्पेशल बेंच
21 नवंबर की सुनवाई में कोर्ट ने कहा था कि मलिक को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में वर्चुअल माध्यम से शामिल होने की अनुमति दी जा सकती है। पीठ ने इस बात पर सहमति जताई कि सुनवाई के लिए जेल में ही कोर्ट बनाया जा सकता है। इसके बाद पीठ ने केंद्र से पूछा कि कितने गवाह पेश होंगे और उनकी सुरक्षा व्यवस्था क्या होगी। पीठ ने कहा, हमें यह देखना होगा कि जज को सिर्फ़ इसी कोर्ट के लिए जेल में कैसे तैनात किया जाएगा।
क्या था मामला?
यह मामला 1990 में श्रीनगर के बाहरी इलाके में भारतीय वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या और 1989 में तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से जुड़ा है। दोनों मामलों में यासीन मलिक मुख्य आरोपी है।