ब्रिटेन की संसद में बुधवार को भारतीय मूल की सांसद शिवानी राजा और ईसाई सांसद बॉब ब्लैकमैन ने भगवद गीता पर हाथ रख कर सांसदी की शपथ ली। दोनों ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी से चुनाव जीते हैं।
शिवानी लीस्टर ईस्ट सीट से जीत दर्ज की है। शिवानी ने लंदन के पूर्व डिप्टी मेयर राजेश अग्रवाल को 4 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है। वहीं बॉब ब्लैकमैन 2010 से सांसद हैरो ईस्ट से सांसद हैं।
लीस्टर ईस्ट को लेबर पार्टी का गढ़ माना जाता है। शिवानी ने यहां 37 साल बाद कंजर्वेटिव पार्टी को जीत दिलाई है। शपथ लेने के बाद शिवानी ने एक पोस्ट कर बताया कि भगवद गीता के साथ शपथ लेना उनके लिए सम्मान की बात थी। उन्हें इस पर गर्व है।
शिवानी ब्रिटेन की सबसे यंग सांसदों में से एक है। वे अभी 27 साल की हैं। शिवानी के माता-पिता 1970 के दशक में गुजरात से लंदन गए थे। वे खुद को हिन्दू मानती है और हिन्दू रीति रिवाज को फॉलो करती हैं।
सांसद बनने से पहले कॉस्मेटिक ब्रांड के साथ काम करती थी शिवानी
शिवानी ने ब्रिटेन की डी मोंटफोर्ट यूनिवर्सिटी से फार्मास्युटिकल और कॉस्मेटिक साइंस से ग्रेजुएशन की। इसके बाद उन्होंने कॉस्मेटिक ब्रांड्स के साथ काम किया।
शिवानी जिस जगह (लीस्टर ईस्ट) से सांसद हैं वहां भारतीय और पाकिस्तानी समुदायों के बीच 2022 में एक क्रिकेट मैच के दौरान झड़प हो गई थी।
ब्रिटेन में चुनाव जीत रहे भारतवंशी
ब्रिटेन में इस बार भारतीय मूल के 107 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। जिसमें से 29 को जीत मिली थी। इसमें लेबर पार्टी के 19 और कंजरवेटिव पार्टी से 7 थे। इसके अलावा लिबरल डेमोक्रेट्स से ब्रिटिश-भारतीय मूल के 1 सांसद और 2 उम्मीदवारों ने निर्दलीय चुनाव जीता है।
इससे पहले 2019 में हुए चुनावों में 15 भारतवंशी को जीत मिली थी और 2017 के चुनाव में 10 जीते थे।
जानिए कौन हैं मोदी की तारीफ करने वाले बॉब ब्लैकमैन ?
ब्रिटेन के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने इस साल BBC की राम मंदिर कवरेज को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कि 22 जनवरी दुनियाभर के हिंदुओं के लिए खुशी का दिन था, लेकिन अफसोस की बात है कि BBC ने अपनी कवरेज में यह बताया कि यह वही जगह है, जहां एक मस्जिद ढहाई गई थी।
इससे पहले ब्लैकमैन ने 17 जनवरी 2023 को गुजरात दंगों पर आई बीबीसी की ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि ये डॉक्यूमेंट्री एक प्रोपेगैंडा है। ये प्रधानमंत्री मोदी की नकारात्मक छवि पेश करती है। मोदी के नेतृत्व में दुनिया भर में भारत की साख बढ़ रही है।
भारत सरकार ने उन्हें साल 2020 में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
ब्रिटेन में 14 साल बाद लेबर पार्टी वापसी
ब्रिटेन में 4 जुलाई को आम चुनाव हुए थे। 5 जुलाई को सामने आए नतीजों में सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी 14 साल बाद लेबर पार्टी से चुनाव हार गई थी। इसके कुछ घंटे बाद भारतवंशी ऋषि सुनक ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। लेबर पार्टी के 61 साल के कीर स्टार्मर देश के 58वें प्रधानमंत्री बन गए थे। पार्टी ने कुल 650 सीटों में से 412 पर जीत दर्ज की थी।
इसके बाद कीर स्टॉर्मर ने अपनी कैबिनेट का गठन किया था। उन्होंने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए रेचल रीव्ज को वित्त मंत्री बनाया। वह इस पद को हासिल करने वाली ब्रिटेन की पहली महिला हैं। रीव्ज 45 साल की हैं। उन्होंने बैंकिंग सेक्टर से अपना करियर शुरू किया था। इसके अलावा एंजेला रेनर को उप-प्रधानमंत्री का पद मिला।
स्टॉर्मर की कैबिनेट में एक भारतीय और एक पीओके मूल की सांसद को शामिल किया गया है। स्टॉर्मर ने भारतीय मूल की सांसद लिसा नंदी को संस्कृति, मीडिया और खेल मामलों का विदेश मंत्री बनाया है। 44 वर्षीया लिसा ने उत्तर-पश्चिमी इंग्लैंड की वाइगन सीट से जीत दर्ज की है।
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अंग्रेजों ने मजदूरों की कमी पूरी करने के लिए बुलाए भारतीय
1947 को जब भारत आजाद हुआ तो बंटवारे ने लगभग 2 करोड़ लोगों को बेघर कर दिया। इनमें से करीब 2 लाख भारतीयों ने मिडिल ईस्ट और ब्रिटेन की ओर रुख किया। ये पहली बार था जब बड़ी आबादी ने हिंद महासागर पार कर दूसरे देशों में शरण ली।
ये वो दौर था जब यूरोप की अर्थव्यवस्था विश्वयुद्ध के असर से उबर रही थी, वहां मजदूरों की भारी कमी थी। भारतीय प्रवासियों ने वहां मजदूरों के अकाल को खत्म किया। उस वक्त उन्हें आसानी से स्वीकार कर लिया गया। ये सिलसिला लगभग 20 साल तक जारी रहा।