दावा- ईरानी एजेंट्स ने ही करवाई हानियेह की हत्या:इंटेलिजेंस अफसर समेत 24 गिरफ्तार

Updated on 03-08-2024 01:14 PM

हमास चीफ इस्माइल हानियेह की मौत के मामले में ईरान ने करीब 24 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें ईरान के कई इंटेलिजेंस अफसर, सैन्य अधिकारी और गेस्ट हाउस का स्टाफ शामिल हैं। यह वही गेस्ट हाउस है, जहां हानियेह पर हमला हुआ था।

न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, ईरान ने हानियेह की सुरक्षा में चूक को देखते हुए यह गिरफ्तारियां की हैं। दरअसल, हानियेह ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजशकियान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने पहुंचा था। वह जिस गेस्ट हाउस में ठहरा था उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी ईरान की सेना IRGC के पास रहती है।

वहीं ब्रिटिश मीडिया हाउस द टेलीग्राफ ​​​​​​ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि हानियेह को मारने के पीछे इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ है। रिपोर्ट के मुताबिक, मोसाद ने इस काम के लिए ईरान के ही सिक्योरिटी एजेंट्स को हायर किया था।

रईसी के अंतिम संस्कार में ही हानियेह को मारना चाहता था इजराइल
ईरानी अधिकारियों की मदद से IRGC के गेस्ट हाउस के 3 अलग-अलग कमरों में बम रखे गए थे। यह वही गेस्ट हाउस है, जहां हानियेह ठहरा था। मोसाद ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के अंतिम विदाई के कार्यक्रम में समय ही हानियेह को मारना चाहता था। हालांकि, तब बहुत ज्यादा भीड़ होने की वजह से प्लान विफल होने की आशंका थी, इसलिए इसे टाल दिया गया।

इसके बाद एजेंट्स ने गेस्ट हाउस के 3 कमरों में बम लगा दिए। फिर वे देश छोड़कर भाग गए। हालांकि,उनका एक साथी ईरान में ही रुका। ईरानी अधिकारियों को गेस्ट हाउस में बम लगाने का CCTV फुटेज भी मिला है।

एजेंट्स ने ईरान छोड़ने के बाद किया ब्लास्ट
टेलीग्राफ के मुताबिक, ईरानी एजेंट्स के सूत्र ने ही 31 जुलाई को हानियेह के अपने कमरे में होने की सूचना दी थी। इसके बाद एजेंट्स ने बम डेटोनेट कर दिया। IRGC के अधिकारी ने शुक्रवार को टेलीग्राफ से बात करते हुए कहा कि उनकी अनसार अल-महदी यूनिट के एजेंट्स को मोसाद ने ही इस काम के लिए हायर किया था।

अधिकारी ने बताया कि छानबीन के बाद उन्हें बाकी 2 कमरों में लगे बम मिल गए। IRGC के एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि यह ईरान के तरफ से सुरक्षा में एक बड़ी चूक है। हालांकि, सेना इसे छिपाने की कोशिश में लगी हुई है।

भारतीय दूतावास ने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी
हानियेह की मौत के बाद से मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ गया है। इसे देखते हुए इजराइल की राजधानी तेल अवीव में मौजूद भारतीय दूतावास ने अपने नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की। दूतावास ने इजराइल में रह रहे सभी भारतीयों को सतर्क रहने की सलाह दी है।

उन्हें बिना जरूरत घर से बाहर न निकलने और सुरक्षा प्रोटोकॉल्स का पालन करने को कहा गया है। भारतीय दूतावास ने कहा है कि सभी नागरिक लगातार एम्बेसी से संपर्क में रहें। इसके अलावा सुरक्षा के लिए लोकल अधिकारियों के आदेश का पालन करें।

दरअसल, हमास चीफ की मौत का बदला लेने के लिए ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने इजराइल पर सीधा हमला करने की धमकी दी है। उन्होंने कहा है कि हानियेह की मौत तेहरान में हुई, इसलिए उसके खून का बदला लेना ईरान का फर्ज है।

हालांकि, ईरान ये हमला कब और कैसे करेगा इसकी जानकारी सामने नहीं आई है। इजराइल-ईरान में जंग के खतरे को देखते हुए कई एयरलाइंस ने इजराइल के लिए उड़ानें रोक दी हैं। इनमें ग्रीस, पोलैंड, नीदरलैंड के अलावा भारत की एअर इंडिया कंपनी शामिल है।

2 महीने पहले हुई थी हानियेह को मारने की प्लानिंग
इससे पहले 1 अगस्त को अमेरिकी मीडिया हाउस न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि हानियेह की मौत मिसाइल हमले नहीं बल्कि एक बम धमाके में हुई है। 2 ईरानी समेत मिडिल ईस्ट के 7 अधिकारियों के हवाले से NYT ने बताया था कि जिस बम विस्फोट में वह मारा गया, उसे 2 महीने पहले छिपाकर तेहरान के उस गेस्ट हाउस में लगा दिया गया था, जिसमें हानियेह ठहरा था।

रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को जैसे ही हानियेह के यहां पहुंचने की पुष्टि हुई थी, किसी बाहरी इलाके से रिमोट के जरिए विस्फोट कर दिया गया था। धमाके के बाद इमारत की दीवार का एक हिस्सा ढह गया। इसके अलावा कई खिड़कियों के शीशे भी टूट गए थे।

ईरान के राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण के बाद हुई हानियेह की मौत
हमास चीफ हानियेह की मौत 31 जुलाई 2024 को रात करीब 2 बजे ईरान की राजधानी तेहरान की एक इमारत पर हुई थी। उनके साथ उनका एक बॉडीगार्ड भी मारा गया था। हानियेह एक दिन पहले ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पजशकियान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुआ था।

इससे पहले शुक्रवार को कतर की राजधानी दोहा में हानियेह को सुपुर्द-ए-खाक किया गया। उसे कतर के शाही कब्रिस्तान लुसैल में दफनाया गया। इस दौरान कतर और फिलिस्तीनी गुटों के हजारों नेता मौजूद रहे थे। अंतिम विदाई से पहले दोहा की सबसे बड़ी मस्जिद में हानियेह के लिए नमाज भी पढ़ी गई थी।



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