भोपाल । साधु-संतों के धरना, प्रदर्शन के बाद गुरुवार को मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष नूरी खान ने शिप्रा नदी में चार फीट गहरे पानी में उतर जल सत्याग्रह आंदोलन किया। इस दौरान वे फिसलकर पानी में गिर गईं और डूबते-डूबते बचीं और बेहोश हो गईं, वहां मौजूद समर्थकों ने उन्हें बाहर निकाला और अस्पताल ले गए।
इसके पहले नूरी खान ने प्रदेश सरकार पर कई आरोप लगाते हुए कहा था कि शिप्रा शुद्धीकरण के नाम पर 20 वर्षों में 650 करोड रुपए खर्च किए गए। फिर भी शिप्रा नदी स्वच्छ नहीं हो पाई। इंदौर, देवास, उज्जैन के नालों का पानी नदी में मिल रहा है।
शिप्रा शुद्धिकरण के लिए संतों के आंदोलन के बाद अब कांग्रेस नेत्री नूरी खान ने भी मोर्चा खोला। गुरुवार को उनके आंदोलन की शुरुआत हुई। नूरी ने कहा कि आंदोलन के दौरान यदि मेरी मृत्यु हो जाती है तो इसकी जवाबदारी उज्जैन प्रशासन और मध्यप्रदेश सरकार की होगी।
शिप्रा नदी में चार फीट गहरे पानी में खड़े होकर नूरी ने जल सत्याग्रह कर रही थी, तभी हादसा हुआ और वे बेहोश हो गईं। दरअसल शिप्रा नदी की शुद्धिकरण की मांग को लेकर संत समाज बीते कई समय से आंदोलन कर रहा है। कुछ दिन पहले संतों ने धरना प्रदर्शन किया और शासन-प्रशासन को आड़े हाथ लिया था। जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के आश्वासन के बाद धरना खत्म किया था, लेकिन हालात सुधरते नहीं देख संत समाज ने फिर से चेतावनी दी है। इधर संतों की इस मांग को अब कांग्रेस नेत्री व प्रदेश उपाध्यक्ष नूरी खान का भी समर्थन मिल गया है।
जनता के साथ विश्वासघात कर रही सरकार
जल सत्याग्रह को लेकर नूरी खान ने कहा कि पिछले 20 सालों में शिप्रा शुद्धिकरण के नाम पर 650 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। 2004 में नदी संरक्षण के नाम पर 6 करोड़ खर्च किए गए। 2016 सिंहस्थ में खान नदी के डायवर्शन में 99 करोड़ खर्च किए गए। शिप्रा को प्रवाहमान बनाने के लिए नर्मदा शिप्रा लिंक परियोजना के लिए 500 करोड़ रुपये खर्च किए। इसके बाद भी शिप्रा शुद्ध नहीं हो पाई है।
साधु संत की गुहार भी यह सरकार नहीं सुन रही। मैंने पूर्व में जो आंदोलन किए थे वे इसी आश्वासन पर खत्म किए थे कि शिप्रा का उद्धार होगा। यह सरकार खुद को हिंदूवादी कहती है लेकिन शिप्रा में डुबकी लगाने वाली जनता के साथ अन्याय और विश्वासघात कर रही है। शिप्रा शुद्धिकरण के नाम पर 600 करोड़ का जो भ्रष्टाचार हुआ है उसमें कौन सम्मिलित है ये बताया जाए। अगर खान डायवर्शन में करोड़ों खर्च किए तो फिर गंदा पानी शिप्रा में क्यों मिल रहा है।