मैनपुरी । यूपी विधानसभा चुनाव-2022 के मतों की गणना थोड़ी देर में शुरू होगी। चंद घंटों में पता चल जाएगा कि यूपी के सिंहासन पर अगले पांच वर्षों के लिए कौन विराजमान होगा। सोमवार को जारी एग्जिट पोल के अनुमानों को देखे तो पता चलता है की सत्तारूढ़ दल यानि भाजपा पुन: बागडोर थामने वाली है. यदि यह होता है तो 1980 व 1985 के विधान सभा चुनाव का इतिहास दोहराया जाएगा।
कांग्रेस को इन दोनों चुनावों में प्रचंड विजय मिली थी 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने 425 उम्मीदवार खड़े किए थे, जिसमे से उसके 309 उम्मीदवार जीते थे और 10 उमीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। तब प्रदेश में हुए मतदान का 37.76 प्रतिशत मत कांग्रेस ने प्राप्त किया था। ठीक इसके बाद 1985 के चुनाव में भी कांग्रेस ने 425 उमीदवार खड़े किए जिसमें से उसके 269 प्रत्याशी विजयी हुए थे और 05 की जमानत जब्त हो गई थी। इस चुनाव में कांग्रेस ने प्रदेश में हुए कुल मतदान का 39.25 प्रतिशत मत प्राप्त किया था।
जाहिर है तब लगातार दो चुनावों में विजय प्राप्त कर कांग्रेस ने इतिहास रचा था। हालांकि इसके बाद के चुनावों में सपा और बसपा ने भी क्रमश: 2007 और 2012 में ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। यूपी के इतिहास पर नजर डाले तो यहां बहुमत की सरकार बनाने वाली पार्टियों ने चार बार ही 300 का आंकड़ा पार किया है। इसकी शुरुआत 1951 में पहले ही चुनाव से हो गई थी। अभी तक भाजपा, कांग्रेस, जनता पार्टी के नाम 300 से ज्यादा सीटें जीतने का रिकार्ड है। वर्ष 2017 में भाजपा ने 312 सीटें जीत कर सरकार बनाई थी। 1951 में हुए सबसे पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 413 सीटों में से 388 सीटें जीत कर सरकार बनाई थी।
हालांकि यह रिकार्ड अभी तक नहीं टूट पाया है। वहीं इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में 1977 में जनता पार्टी ने 352 सीटें जीत कर सरकार बनाई थी और कांग्रेस 47 पर सिमट गई। 2017 में भाजपा ने 384 उमीदवार खड़े किए जिसमें से 312 जीते और मात्र 05 ने जमानत खोई थी। ऐसे में यदि एग्जिट पोल के नतीजे सही साबित हुए तो प्रदेश में भाजपा सत्ता में आती है तो यह 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस के विजय के रिकॉर्ड की बराबरी करेगी।