भोपाल । राजधानी में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में गिरावट आने ने बाद पुन: बढ गए हैं। राजधानी में शनिवार को 7449 सैंपल की जांच में 1936 मरीज मिले हैं, जबकि शुक्रवार को 1508 मरीज मिले थे। शुक्रवार को मरीज कम होने की एक बड़ी वजह यह भी रही कि सैंपल बहुत कम जांचे गए थे। महज 4298 सैंपल की जांच हुई थी। इस कारण संक्रमण दर भी 35 फीसद थी।
शनिवार को सैंपलो की संख्या बढ़ी तो संक्रमण दर भी 26 फीसद पर आ गई। 25 नवंबर को 2095 मरीज मिले थे। इसके बाद मरीजों की संख्या कम होते हुए 1508 तक पहुंची थी। हालांकि, पिछले हफ्ते तीन दिन ऐसी स्थिति भी रही जब हर दिन 21 सौ से ज्यादा मरीज मिल रहे थे। राहत की बात यह है कि दो दिन से भोपाल में किसी मरीज की मौत नहीं हुई है।
स्वास्थ्य विभाग के हेल्थ बुलेटिन के अनुसार भोपाल में सक्रिय मरीजों की संख्या शनिवार शाम की स्थिति में 13,439 थी। इनमें 13,239 यानी 98 फीसद होम आइसोलेशन में हैं। बाकी मरीजों का निजी और सरकारी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का दावा है कि कॉल सेंटर में डॉक्टरों द्वारा होम आइसोलेशन वाले मरीजों से दिन में दो बार बात की जा रही है। हकीकत यह है कि पॉजिटिव आने के तीसरे या चौथे दिन हालचाल जानने के लिए फोन आ रहा है। मरीजों को दवाओं की किट भी नही दी जा रही है। यही स्थिति जांच रिपोर्ट की है। जांच कराने के बाद मरीजों को यही पता नहीं चल रहा है कि उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव है या निगेटिव। रिपोर्ट के लिए 1075 काल सेंटर में हर दिन करीब 150 फोन आ रहे हैं।
पिछले तीन दिन तक लगातार मरीजों की संख्या कम होने के बाद मरीज बढ़े हैं। इस संबंध में एम्स भोपाल के पूर्व डायरेक्टर (वायरोलॉजिस्ट) और आइसर के प्रोफेसर (डा.) सरमन सिंह ने कहा कि जांचों की संख्या कम-ज्यादा होने से नए मरीजों की संख्या कम हो जाती है। दूसरी बात लोगों की लापरवाही है। जैसे ही मरीज कम होने लगते हैं लोग लापरवाह हो जाते हैं।
इस कारण मरीज बढ़ने लगते हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में फरवरी के पहले हफ्ते में मरीजों की संख्या पीक पर रहेगी। उनका कहना है कि सरकारी आंकड़ों में मरीजों की संख्या कम- ज्यादा होने से किसी निष्कर्ष पर इसलिए नहीं पहुंच सकते क्योंकि 75 फीसद लोग जांच ही नहीं करा रहे हैं। कोरोना वायरस का कभी चक्र होता है। एक व्यक्ति किसी को संक्रमित करता है तो करीब 5 दिन बाद उसे लक्षण आते हैं। इसी तरह का चक्र चलता है। ऐसे में इतना जल्दी ढलान पर नहीं पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि फरवरी के दूसरे हफ्ते से हकीकत में मरीज कम होने लगेंगे।