नई दिल्ली । नम्रता यूक्रेन की राजधानी कीव के एयरपोर्ट में 20 घंटे से फंसी है। उसे जिस फ्लाइट से लौटना था, रूसी मिसाइलों ने उसका रास्ता रोक दिया। उड़ानें निरस्त हो गईं।
इधर उसके बाबा राम स्वरूप पौत्री को बेसाख्ता याद कर रहे थे। अचानक सीने में दर्द उठा। अस्पताल लाए गए तो पता चला हार्ट अटैक है। कुछ घंटे सांसों ने साथ दिया फिर होठ फड़फड़ा कर शांत हो गए। उनके आखिरी लफ्ज थे। नम्रता...नम्रता। घर वालों पर गम का पहाड़ टूट पड़ा है।
किसी ने नम्रता को नहीं बताया है कि दादू दुनिया को अलविदा कह गए। विपदा का शिकार यह परिवार छिबरामऊ क्षेत्र का है। कन्नौज कस्बा सिकंदरपुर के आयुर्वेदिक अस्पताल के फार्मासिस्ट और कर्मचारी संयुक्त परिषद के जिलाध्यक्ष डॉ. अशोक सविता की बेटी नम्रता यूक्रेन की टर्नोपिल नेशनल मेडिकल यूनीवर्सिटी से एमबीबीएस कर रही है। अशोक ने बताया- कल ही बेटी से फोन पर बात हुई थी। उसने बताया था कि वह भारत आने के लिए कीव में फ्लाइट का इंतजार कर रही है। उसके बाद से बेटी से संपर्क नहीं हो पा रहा है। इधर पिता रामस्वरूप उसे कई दिन से बहुत याद कर रहे थे। उनकी तबीयत कुछ खराब थी।
कहते थे- नम्रता को बुलाओ। उसे देख लूं। मंगलवार रात अचानक उनकी सांस फूली और सीने में दर्द होने लगा। उन्हें अस्पताल ले गए तो बताया हार्ट अटैक है। कार्डियोलॉजी सेंटर ले आए। इलाज होने लगा। यहां बेहोशी में भी वह बिटिया को याद कर रहे थे। बुधवार शाम उन्होंने दम तोड़ दिया।
अशोक ने कहा-हमारी हिम्मत नहीं कि हम बिटिया को बताएं-उसे दादू उसे याद करते हुए दुनिया से चले गए। मौत के बाद भी उनकी आंखें मानो उसका इंतजार कर रही थीं। गुरुवार को पिता का अंतिम संस्कार किया है। बेटी का फोन डिस्चार्ज हो गया या वह किसी मुसीबत में है, हमें नहीं पता। हम सरकार से इल्तिजा करते हैं कि बेटी को सकुशल भारत लाने की व्यवस्था करे।