भोपाल। फर्जी दस्तावेज तैयार कर उनसे विभिन्न शहरों में बैंक खाते खुलवाकर कमीशन पर साइबर ठगों को देने वाले बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। एक महिला समेत सभी सात आरोपित बिहार के हैं। इनमें से दो युवक चौथी-पांचवीं तक ही पढ़े हैं।
पुलिस ने इनके पास से बड़ी संख्या में आधार कार्ड, एटीएम कार्ड, पैन कार्ड, सिम कार्ड, 20 मोबाइल फोन, दो प्रिंटर, एक लैपटाप, एक पेनड्राइव और हिसाब-किताब का रजिस्टर बरामद किया है। पूछताछ में पता चला कि गिरोह एक शहर में एक-दो माह रुकता था।
अभी तक ये लोग फर्जी दस्तावेजों से देश भर में 1800 बैंक खाते खोल चुके हैं। इनमें से 120 एक माह में भोपाल में खोले गए हैं। खाते बैंक आफ महाराष्ट्र, आईडीबीआई, एसबीआई आदि में खोले गए हैं। पुलिस कमिश्नर हरिनारायणाचारी मिश्र ने बताया कि तीन दिन पहले एक युवक-युवती मोबाइल की दुकान पर सिम लेने पहुंचे थे।
इनके पास अलग-अलग व्यक्तियों के आधार कार्ड थे, जिन पर युवक-युवती की फोटो तो एक जैसी है, लेकिन नाम-पता अलग-अलग हैं। गिरोह का सरगना शशिकांत है, जो फर्जी दस्तावेज से खाता खुलवाने पर अपने साथियों को दो हजार रुपये देता था।
उसके बाद वह साइबर ठगों को 10 हजार रुपये में एक खाता उपलब्ध कराता था। वह स्वयं भी इन खातों का उपयोग अपनी गैंग के सदस्यों के साथ मिलकर आम लोगों को लोन दिलाने के नाम पर एवं गेमिंग के जरिये साइबर ठगी के लिए करता था।
पुलिस से बचने के लिए वह तीन-चार माह में शहर एवं लड़कों को बदल देते थे। ये लोग अभी तक लखनऊ, इंदौर, हैदराबाद में फर्जी बैंक खाते खुलवाकर कई घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं। डीसीपी जोन- तीन रियाज इकबाल ने बताया कि गिरोह ने एक माह पहले इब्राहिमगंज में खुद को कपड़ा व्यापारी बताकर फ्लैट किराए पर लिया था।
पहले ये लोग ढाई माह तक इंदौर में रहे थे। इनका लक्ष्य एक शहर में एक माह में कम से कम सौ फर्जी खाते खुलवाना रहता है। इन लोगों तक कुछ आधार कार्ड डाक से भी पहुंचे हैं। जांच में कुछ पोस्टमैनों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। शशिकांत 10 हजार रुपये में एक खाता बिहार के साइबर ठग संजय को मुहैया कराता था। पुलिस उसकी तलाश में जुट गई है।
फर्जीवाड़ा के साक्ष्य मिलने पर पुलिस टीम ने इब्राहिमगंज के एक फ्लैट पर छापा मारा। वहां मूलत: बिहार के रहने वाले सात लोग मिले। इनकी पहचान शशिकांत उर्फ मनीष (26), सपना उर्फ साधना (21), अंकित साहू उर्फ सुनील (20), कौशल माली उर्फ पंकज (19), रोशन कुमार (20), रंजन कुमार उर्फ विनोद (19) एवं मोहम्मद टीटू उर्फ विजय (18) के रूप में हुई। रंजन कुमार पांचवीं एवं टीटू चौथी तक पढ़ा है।
शशिकांत देवघर झारखंड से आधार कार्ड का डाटा लेता था। आधार कार्ड से पता करके जिनका पैन कार्ड नहीं बना होता है, उसका पैनकार्ड ऑफलाइन बनवाता था। इसके बाद सपना, अंकित, कौशल, रोशन, रंजन एवं टीटू की उम्र के आधार पर उन आधार और पैन कार्ड में उनकी फोटो बदल देता था।
इसके बाद कलर प्रिंटर से इन फर्जी आधार एवं पैन कार्ड का प्रिंट निकाल लेता था। फिर अपने साथियों के फोटो लगाकर भोपाल में अलग-अलग दुकानों से सिमकार्ड लेते थे व बैंकों में जाकर फर्जी बैंक खाता खुलवाते थे।