जब कोई सैनिक वर्दी में होता है, तब लिंग भेद समाप्त हो जाता: शिखा मेहरोत्रा

Updated on 08-03-2022 10:05 PM



नई दिल्ली । भारतीय थलसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल शिखा मेहरोत्रा ने चेन्नई स्थित अफसर प्रशिक्षण अकादमी में बतौर कैडेट, बिताए समय को याद कर कहा कि अकादमी में कठोर प्रशिक्षण के साथ-साथ सौहार्द की भावना ने उन्हें जीवन का एक मूल्यवान पाठ पढ़ाया कि जब कोई सैनिक वर्दी में होता है, तब लिंग भेद समाप्त हो जाता है। शिखा मेहरोत्रा ने कहा, हम सभी महिला एवं पुरुष कैडेट सुबह उठाकर कड़ा प्रशिक्षण लेते थे, अभ्यास करते थे। हम मान जोश के साथ और देश की सेवा करने के समान जज्बे के साथ प्रशिक्षण में भाग लेते थे। जब हम प्रशिक्षण में  भाग लेते थे,तब हम महिला या पुरुष कैडेट के तौर पर नहीं, बल्कि केवल कैडेट के तौर पर मेहनत करते थे। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर महिला अधिकारियों के समूह ने साउथ ब्लॉक में आयोजित एक संवाद में भाग लिया।
पिछले 15 साल से सेना में सेवारत लेफ्टिनेंट कर्नल अनिला खत्री ने कहा कि सशस्त्र बलों की खासियत और खूबसूरती यह है कि ‘‘सभी के साथ समान व्यवहार किया जाता है और इसमें शामिल होने वाले व्यक्ति का विकास उसकी योग्यता एवं मेहनत से तय होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘महिला दिवस पर, लोग हमसे पूछ रहे हैं कि एक महिला अधिकारी होने के तौर पर कैसा महसूस होता है और हमारे सामने क्या चुनौतियां होती हैं, लेकिन एक सैनिक की पहचान उसके लिंग से नहीं होती। जब हम अपनी हरे रंग की वर्दी पहनते हैं, तब कोई महिला या पुरुष जवान नहीं रह जाता, हम केवल सैनिक होते हैं। सेना द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार दिल्ली की मूल निवासी खत्री स्काईडाइविंग में डेमो-जम्पर के रूप में अर्हता प्राप्त करने वाली भारतीय सेना की एकमात्र महिला अधिकारी हैं। अनिला खत्री ने कहा, महिलाओं को खुद को समान या पुरुषों से बेहतर साबित करने का बोझ उठाने की जरूरत नहीं है। उन्हें बस, अपने जुनून को जीना चाहिए और इस साकार करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए।’’
तीन साल पहले सेना में शामिल हुईं और सर्वश्रेष्ठ कैडेट होने के लिए ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित कैप्टन प्रीति चौधरी ने कहा कि ‘‘सेना की वर्दी पहनना उनका बचपन का सपना’’ था। पानीपत की मूल निवासी चौधरी ने कहा, मैं जब हर रोज वर्दी पहनती हूं और शीशा देखती हूं,,तब मुझे गर्व होता है। सेना में हम सभी समान है। उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों में ‘‘एक जवान या एक अधिकारी कभी केवल एक व्यक्ति नहीं होता और प्रशिक्षण के दिनों से ही हमें सिखाया जाता है कि हम एक टीम हैं। मेजर कनिका सिंह ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि महिलाएं कभी ‘अबला’ रही हैं। हमारे पास दुर्जेय महारानी लक्ष्मीबाई और हमारी पूर्व प्रधानमंत्री (इंदिरा गांधी) के उदाहरण हैं जो नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने कहा, महिला दिवस पर, लोग एक दिन के लिए समानता की बात कर सकते हैं,लेकिन सेना में हर दिन महिला दिवस होता है, क्योंकि हम सभी समान महसूस करती हैं।’’


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