भोपाल। बीते रोज शहर के कमला नेहरू गैस राहत अस्पताल हमीदिया में आग से बच्चों की मौत के मामले में हाईकोर्ट ने जवाब-तलब किया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा गया है कि हादसे के लिए जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई की है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव और डायरेक्टर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने यह जवाब तलब किया है। जनहित याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2014 में सतना के सरकारी अस्पताल के बच्चा वार्ड में आग लगी थी।
आग से बच्चे गंभीर रूप से घायल हो गए थे और एक बच्चे की मौत हो गई थी। इस संबंध में उन्होंने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जांच करने के लिए कहा था। इस पर तथ्य सामने आया कि आग जैसी घटनाएं रोकने के लिए अस्पताल में कोई व्यवस्थाएं नहीं है। यह मामला अभी भी हाई कोर्ट में लंबित है। इसी बीच भोपाल के हमीदिया अस्पताल में आग लगने से बच्चों की मौत हो गई है। जनहित याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रभात यादव, जयलक्ष्मी अय्यर और रत्नेश यादव ने पक्ष रखा।
बता दें कि नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डा. पीजी नाजपांडे की ओर से दायर आवेदन में कहा गया है कि यह मामला संवेदनशील और सार्वजनिक हित का है, इसलिए दोषियों के खिलाफ एफआइआर की कार्रवाई होनी चाहिए। एक अन्य मामले में विशेष न्यायाधीश ज्योति मिश्रा की अदालत ने नाबालिग छेड़छाड़ से छेड़छाड़ के आरोपितों जबलपुर निवासी हरि प्रीतवानी व गौरव गुप्ता को तीन-तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही दो-दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक मनीषा दुबे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 26 अगस्त, 2015 को थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। जिसमें अवगत कराया गया था कि पीडि़ता जबलपुर में अपने मामा-मामी के साथ रह रही थी।
किसी मामले में मामा जेल चल गए। इस दौरान आरोपितों का घर आना-जाना शुरू हो गया।वे घर पर शराब पीते थे। पीडिता को शराब का जाम तैयार करने मजबूर करते थे। एक रोज जब वह घर पर अकेली थी, तो गोद में बैठाकर अश्लील हरकतें करने लगे।एक दिन पिस्टल तान कर अनुचित हरकत करने लगे। साथ ही यह बात किसी से बताने चेतावनी दी।जब मामी को जानकारी मिली, तो थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। अदालत ने छह गवाहों के बयान दर्ज करने के बाद दोष सिद्ध पाकर सजा सुना दी।