भोपाल : असाध्य और जटिल रोगों
के इलाज में, जहां सर्जरी एकमात्र विकल्प बचता है, वहां
होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति ने मरीजों को फ़ायदा पहुंचाया है. बार - बार होने वाली
पथरी, पाइल्स, फिशर, फिश्चुला, वेरिकोस वेन एवं साइनस की परेशानी तथा
स्लिप डिस्क एवं एलर्जी के इलाज में आज के समय में होम्योपैथी सबसे कारगर चिकित्सा
प्रणाली है.
ये कहना है प्रदेश के होम्योपैथिक चिकित्सा शिक्षा एवं होम्योपैथिक अनुसन्धान को नई दिशा देने वाले प्रदेश के चिकित्सक डॉ ए. के. द्विवेदी का जिन्हें, हाल ही में केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद, आयुष मंत्रालय भारत सरकार का तीसरी बार सदस्य मनोनित किया गया है.
डॉ द्विवेदी ने बताया कि पिछले 20 वर्षों में होम्योपैथिक इलाज से हजारों की संख्या में रक्त विकार, बोनमैरो की समस्या, अप्लास्टिक एनीमिया के मरीजों के साथ साथ प्रोस्टेट, गठिया एवं अस्थमा के मरीजों को बीमारी में सम्पूर्ण लाभ मिल चुका है. उन्होंने होम्योपैथी दवा के ५० मिलिसिमल पोटेंसी की दवा का इस्तेमाल के उपयोग से मिली सफलता के बारे में भी बात की जिसके कारण जटिल बीमारियों के सबसे तेज़ नतीजे मिले हैं.
उन्होंने कहा कि अब आवश्यकता इस बात की है कि होम्योपैथिक चिकित्सा के सफल परिणामों को प्रस्तुत करने के तरीके खोजे जाएँ. मेरे अपने होम्योपैथिक चिकित्सा द्वारा 20 से अधिक बीमारियों के स्वस्थ हुए मरीजों पर बनाये गए रिसर्च पेपर्स प्रकाशित हो चुके हैं और लंदन, दुबई, माल्टा जैसे देशों में अंतरष्ट्रीय सेमिनार में अपने रिसर्च पेपर भी पढ़े हैं.