इंदौर । इंदौर शहर की हवा में बढ़ रहे प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए वाहनों को पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (पीयूसी) सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है ताकि वाहनों के धुएं से होने वाले प्रदूषण को रोका जा सके।
इंदौर में परिवहन विभाग के आंकड़ों के अनुसार 32 लाख से अधिक वाहन पंजीकृत हैं। इन वाहनों के पीयूसी सर्टिफिकेट के लिए शहर में महज 53 सेंटर संचालित हो रहे हैं। एक सेंटर पर 64 हजार वाहनों का दबाव है, लेकिन सेंटरों की संख्या नहीं बढ़ रही है।
यही हाल प्रदेश के अन्य महानगरों के हैं। प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की जांच इसलिए भी जरूरी है क्योंकि दिल्ली में प्रदूषण के कारण एक्यूआई 450 से पार जा चुका है, कहीं दिल्ली जैसी हालत इंदौर में न हो जाए इसलिए सजगता जरूरी है। स्वच्छ शहर की हवा में लगातार प्रदूषण बढ़ता जा रहा है।
प्रदूषण बढ़ने का सबसे ज्यादा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। इससे फेफड़ों और दिल से संबंधित रोग होते हैं। इसके साथ ही इससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ता है। यह हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक है।
इंदौर में 53 पीयूसी सेंटर
इंदौर में प्रदेश के सर्वाधिक 32 लाख 12 हजार 171 वाहन पंजीकृत हैं, इसके बावजूद वाहनों का प्रदूषण जांचने वाले सेंटरों की संख्या कम है। कुछ माह पहले इंदौर में 110 पीयूसी सेंटर संचालित हो रहे थे, लेकिन परिवहन पोर्टल पर पंजीयन अनिवार्य करने के बाद अब 53 सेंटर ही संचालित हो रहे हैं। ऑनलाइन की अनिवार्यता के कारण कई सेंटर बंद हो गए।
इंदौर में 200 के करीब पेट्रोल पंप संचालित होते हैं, लेकिन अधिकांश पेट्रोल पंपों पर पीयूसी सेंटर बंद हो चुके हैं। नियम के अनुसार सभी पंपों पर पीयूसी सेंटर खोलना अनिवार्य है। आमतौर पर पीयूसी कराने में वाहन चालक भी लापरवाही बरत रहे हैं।
इसकी बड़ी वजह प्रदेश में वाहनों की जांच में पीयूसी सर्टिफिकेट की जांच नहीं होना प्रमुख है। परिवहन विभाग और यातायात पुलिस जांच के दौरान अन्य दस्तावेजों की जांच करती है, लेकिन पीयूसी नहीं मांगती।
मध्य प्रदेश के चारों महानगरों के हाल बेहाल हैं। ग्वालियर में तो महज एक पीयूसी सेंटर संचालित हो रहा है, जबकि वाहनों की संख्या 12 लाख से अधिक है। जबलपुर में वाहनों की संख्या 8.30 लाख है। बावजूद 57 पीयूसी सेंटर हैं। प्रदेश की राजधानी भोपाल में 17 लाख वाहनों की जांच के लिए 52 पीयूसी सेंटर हैं। इंदौर में 32 लाख से अधिक वाहन हैं और 53 सेंटर संचालित हो रहे हैं।