भारत ने हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच एक बड़ी जीत हासिल की है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक भारत ने बांग्लादेश के साथ मोंगला बंदरगाह के टर्मिनल के ऑपरेशन की डील कर ली है। ये डील ऐसे समय में फाइनल हुई है जब पिछले ही महीने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत दौरे पर आई थीं।
भारत की इस डील को हिंद महासागर में चीन को काउंटर करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। चीन भी इस बंदरगाह पर अपनी नजर बनाए हुए था। मोंगला बंदरगाह, चिटगोंग बंदरगाह के बाद बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह है। ये तीसरा विदेशी बंदरगाह होगा, जिसके ऑपरेशन की जिम्मेदारी भारत के पास होगी।
इससे पहले भारत ने इस साल म्यांमार के साथ स्वात्ते बंदरगाह और ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह की डील साइन की है। मोंगला बंदरगाह डील से जुड़ी जानकारियां अभी सामने आना बांकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस टर्मिनल का संचालन इंडिया बंदरगाह ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) के द्वारा किया जाएगा।
क्यों खास है मोंगला बंदरगाह डील
मोंगला बंदरगाह डील भारत के लिए कनेक्टिविटी के लिहाज से अहम है। इस बंदरगाह के जरिए भारत को उत्तर-पूर्व के राज्यों तक कनेक्टिविटी को बढ़ाने में मदद मिलेगी। इससे चिकन नेक या सिलिगुड़ी कॉरीडोर पर दबाव कम होगा।
इसके अलावा चीन को काउंटर करने के लिए भी ये बंदरगाह बेहद अहम है। हिंद महासागर में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन जिबूती में 652 करोड़ और पाकिस्तान के ग्वादर में 1.3 लाख करोड़ की मदद से बंदरगाह बना रहा है।
चीन के मुकाबले ग्लोबल कंटेनर ट्रैफिक में पीछे भारत
कंटेनर ट्रैफिक के मामले में टॉप 10 बंदरगाह में भारत का एक भी बंदरगाह शामिल नहीं हैं। जबकि टॉप 10 में चीन के 6 बंदरगाह शामिल हैं। दिल्ली स्थित थिंक टैंक सोसाइटी फॉर पॉलिसी के डायरेक्टर और नौसेना के पूर्व अधिकारी उदय भास्कर के मुताबिक मोंगला बंदरगाह का संचालन, हिंद महासागर में भारत की बंदरगाह संचालन की क्षमताओं को दिखाने का अच्छा मौका है।
पूर्व अधिकारी के मुताबिक भारत को वैश्विक तौर पर बंदरगाह संचालन के क्षेत्र में कमतर माना जाता है। भास्कर के मुताबिक विदेशों में बंदरगाह का संचालन किसी देश की समुद्री क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। चीन अब तक 63 से ज्यादा देशों के 100 से ज्यादा बंदरगाहों में निवेश कर चुका है।
मोदी 3.0 सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट पेश किया। इसमें विदेश मंत्रालय को 22 हजार 154 करोड़ रुपए दिए गए हैं। यह 2023-24 के बजट से करीब 24% यानी कम है।