भोपाल । मध्य प्रदेश में बढ़ती बाघों की संख्या और अन्य वन्यप्राणियों के लिए सुरक्षित रहवास देने के लिए सागर जिले में नया अभयारण्य बनाया जा रहा है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इसकी सैद्धांतिक सहमति दे चुका है। अब क्षेत्र की जनता से बात करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सागर जाएंगे। उनकी सहमति के बाद ही सरकार अभयारण्य बनाने के निर्णय को आगे बढ़ाएगी। प्रदेश में महज आठ साल (वर्ष 2010 से 2018) में बाघों की संख्या 308 से बढ़कर 526 हो गई है।
लगभग इसी अनुपात में अन्य वन्यप्राणी भी बढ़े हैं। ऐसे में वन्यप्राणियों को जंगलों में जगह कम पड़ने लगी है। जिसे देखते हुए प्रदेश के सागर और बुरहानपुर जिले में नए अभयारण्य बनाए जा रहे हैं। उत्तर सागर वनमंडल में 25 हजार 864 हेक्टेयर का क्षेत्र चुना गया है। प्रस्तावित अभयारण्य के पांच किमी की परिधि में 88 गांव आ रहे हैं। इन गांवों के ग्रामीण निस्तार के लिए जंगल पर निर्भर हैं। इसलिए मुख्यमंत्री खुद सागर जाकर इन गांवों के लोगों से बात करेंगे। यदि वे सहमत होंगे, तो अभयारण्य के गठन की कार्यवाही पूरी होगी।
ऐसा इसलिए किया जा रहा है। क्योंकि कमल नाथ सरकार में छिंदवाड़ा में भी अभयारण्य बनाने का प्रस्ताव आया था, जिसे ग्रामीणों की नाराजगी के बाद हटाया गया था। वहीं एक अन्य जगह अभयारण्य बनाने को लेकर भी ग्रामीण लामबंद हो गए थे।कमल नाथ सरकार में वनमंत्री रहे उमंग सिंघार ने प्रदेश में 11 नए अभयारण्य के गठन का प्रस्ताव तैयार कराया था। इस पर तेजी से काम चल रहा था, तब तक प्रदेश में सत्ता पलट हो गया और नाथ सरकार के अन्य प्रस्तावों की तरह अभयारण्य के गठन का प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में चला गया।
सागर में प्रस्तावित अभयारण्य के लिए वन्यप्राणी मुख्यालय ने 42 अधिकारियों-कर्मचारियों की पदस्थी का प्रस्ताव तैयार किया है। इनमें से 41 वनक्षेत्रपाल, वनपाल और वनरक्षक होंगे। इस बारे में मध्य प्रदेश के मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक आलोक कुमार का कहना है कि सागर अभयारण्य के लिए सहमति मिल गई है। कुछ अड़चने हैं, जिनके हटते ही काम शुरू हो जाएगा। बुरहानपुर जिले में अभयारण्य के गठन के प्रस्ताव पर सहमति का इंतजार है।