नई दिल्ली । यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतें सात साल के उच्च स्तर पर हैं। इसका असर आने वाले हफ्ते में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर दिख सकता है। अगले सप्ताह राज्यों में चुनाव खत्म होने के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी फिर से हो सकती है। बता दें क्रूड ऑयल के रेट बेहताशा भाग रहे हैं। ब्रेंट क्रूड बुधवार को 110 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गया।
बुधवार दोपहर करीब 2.24 बजे, ब्रेंट क्रूड की कीमत 111.56 डॉलर प्रति बैरल थी, जो पिछले बंद से 6.59 प्रतिशत अधिक थी। ब्रेंट इस समय 2014 के बाद के उच्चतम स्तर पर है। आईईए ने कहा कि वैश्विक तेल बाजारों को एक एकीकृत और मजबूत संदेश भेजने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के परिणामस्वरूप आपूर्ति में कोई कमी नहीं होगी। ओमान, दुबई और ब्रेंट क्रूड सहित तेल की इंडियन बास्केट में भी 100 डॉलर प्रति बैरल के निशान को पार कर गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है,हम अगले सप्ताह से खुदरा डीजल और पेट्रोल की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद करते हैं। अगले सप्ताह राज्य के चुनाव होने के साथ हम उम्मीद करते हैं कि पेट्रोल और डीजल दोनों में दैनिक ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी फिर शुरु होगी। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में नवंबर से कोई बदलाव नहीं किया गया है। हमारा अनुमान है कि स्पॉट ब्रेंट (105 डॉलर प्रति बैरल) और डीजल की कीमतों पर ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को 5.70 रुपये प्रति लीटर बनाम सामान्यीकृत मार्जिन रु.2.5/लीटर का नुकसान हो रहा है। हम निवेशकों को सावधान कर रहे हैं कि कच्चे तेल, डीजल और विदेशी मुद्रा में उतार-चढ़ाव को देखते हुए यह दिन-प्रतिदिन बदल सकती है,"
ऑयल मिनिस्ट्री के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनॉलिसिस सेल की जानकारी के मुताबिक, भारत में कच्चे तेल की खरीदारी 1 मार्च को 102 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर हो गई, जो अगस्त 2014 के बाद सबसे ज्यादा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए सातवें और अंतिम चरण का मतदान 7 मार्च को है और मतों की गिनती 10 मार्च को होगी है।तेल कंपनियों को सामान्य विपणन मार्जिन पर वापस जाने के लिए खुदरा कीमतों में 9 रुपये प्रति लीटर या 10 प्रतिशत की वृद्धि करने की आवश्यकता है।
उत्पाद शुल्क में कटौती 1 से 3 रुपये प्रति लीटर की कटौती हो सकती है। वहीं, खुदरा मूल्य में वृद्धि 5 से 8 रुपये प्रति लीटर के संयोजन की उम्मीद है, जो 100 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल तेल के पास-थ्रू को दर्शाता है।" घरेलू ईंधन की कीमतें सीधे अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों से जुड़ी हैं, क्योंकि भारत अपनी तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत आयात करता है।