प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में बुजुर्गों को मोबाइल के जरिए डिजिटल पेमेंट सिखाने वाले महेश का जिक्र 'मन की बात' के 116वें प्रसारण में किया। प्रधानमंत्री ने डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं पर कहा- बुजुर्गों को डिजिटल अरेस्ट के खतरे से बचाने के लिए भी युवा आगे आए हैं। इस तरह के अपराध के सबसे ज्यादा शिकार बुजुर्ग ही बनते हैं। ऐसे में हमारा दायित्व है कि हम उन्हें जागरूक बनाएं और साइबर फ्रॉड से बचने में मदद करें। हमें बार-बार लोगों को समझाना होगा कि डिजिटल अरेस्ट नाम का सरकार में कोई भी प्रावधान नहीं है, ये सरासर झूठ, लोगों को फंसाने का षड्यंत्र है। पीएम ने एनसीसी (नेशनल कैडेट कोर) डे पर कहा- जब हम एनसीसी का नाम सुनते हैं, हमें अपने स्कूल और कॉलेज के दिन याद आ जाते हैं। मैं खुद एनसीसी कैडेट रह चुका हूं, इसलिए मैं पूरे आत्मविश्वास से कह सकता हूं कि इससे मिले अनुभव मेरे लिए अमूल्य हैं। पीएम मोदी ने मन की बात में इन मुद्दों पर बात की नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी): 2024 तक एनसीसी से 20 लाख से ज्यादा युवा जुड़े हैं। पहले की तुलना में 5 हजार नए स्कूलों और कॉलेजों में एनसीसी का प्रावधान किया गया है। पहले एनसीसी में लड़कियों की संख्या सिर्फ 25% थी। अब यह बढ़कर 40% हो गई है, जो एक बड़ा बदलाव है। स्वामी विवेकानंद की जयंती और युवा दिवस: 2025 स्वामी विवेकानंद की 162वीं जयंती के रूप में मनाया जाएगा। 11-12 जनवरी को दिल्ली के भारत मंडपम में युवा विचारों का महाकुंभ होगा। इसका नाम 'विकसित भारत यंग लीडर्स डायलॉग' रखा गया है। देश में 1 लाख युवाओं को राजनीति से जोड़ने के लिए विशेष अभियान भी चलाए जाएंगे। युवाओं का सोशल वर्क: कुछ युवाओं ने समूह बनाकर विभिन्न मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया है। लखनऊ के वीरेंद्र ने बुजुर्गों की डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट से जुड़ी समस्याओं को हल करने में मदद की। इससे चीजें बहुत आसान हो गईं। युवा तकनीकी अपराधों से बचाने के लिए बुजुर्गों की मदद करें, उन्हें सुरक्षित डिजिटल व्यवहार अपनाने में हेल्प करें। देश में चल रहे लाइब्रेरी इनीशिएटिव: चेन्नई में 'प्रकृति अरिवगम' के नाम से बच्चों के लिए एक ऐसी लाइब्रेरी बनाई गई है, जो रचनात्मकता और सीखने का केंद्र बन गई है। फूड फॉर थॉट फाउंडेशन ने हैदराबाद में कई लाइब्रेरी बनाई हैं। बिहार में गोपालगंज में भी प्रयोग लाइब्रेरी की चर्चा हो रही है। इससे 12 गांव के युवा को मदद मिल रही है। पीएम की गुयाना यात्रा: भारत से हजारों किलोमीटर दूर गुयाना में भी एक 'मिनी इंडिया' बसता है। लगभग 180 साल पहले भारत से लोगों को गुयाना में खेती और अन्य कामों के लिए ले जाया गया था। आज गुयाना में भारतीय मूल के लोग राजनीति, व्यापार, शिक्षा और संस्कृति जैसे हर क्षेत्र में देश का नेतृत्व कर रहे हैं। इंडियन डाइसपोरा स्टोरीज: गुयाना की तरह दुनिया के दर्जनों देशों में लाखों भारतीय रहते हैं। उनके पूर्वजों की कई दशकों, यहां तक कि 200-300 साल पुरानी कहानियां हैं। ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि भारतीय प्रवासियों ने कई देशों में अपनी पहचान कैसे बनाई। भारतीय प्रवासियों की ऐसी ही कहानियों को खोजें और मेरे साथ साझा कर सकते हैं। कचरे से कंचन इनीशिएटिव: हमारे देश में 'वेस्ट टू वेल्थ' की धारणा बहुत पुरानी है। आज देश के कई हिस्सों में युवा बेकार समझी जाने वाली चीजों को अलग-अलग तरीकों से संपदा में बदल रहे हैं। वे न केवल बेकार वस्तुओं को उपयोगी बना रहे हैं, बल्कि इससे पैसे भी कमा रहे हैं। मैं चाहता हूं कि युवा इस दिशा में और ज्यादा प्रयास करें और पर्यावरण संरक्षण के साथ आर्थिक लाभ के इस मॉडल को आगे बढ़ाएं।