नई दिल्ली । देश की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कोयला खनन परियोजना को को लेकर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि सरकार ने परियोजना के कारण जमीन गंवाने वालों लोगों के लिए मुआवजे में संशोधन किया है। उन्होंने यह भी कहा कि परियोजना के लिए जबरन किसी की जमीन नहीं ली जाएगी। कुल 35,000 करोड़ रुपये की कोयला परियोजना राज्य के बीरभूम जिले में है।
बनर्जी ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा कि राज्य सरकार खनन परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण करना चाहती है क्योंकि इससे एक लाख रोजगार सृजित होंगे। उन्होंने कहा, ‘सरकार इस परियोजना का विकास करेगी और कोई भी जमीन निजी क्षेत्र को नहीं दी जाएगी। हमने मंत्रिमंडल की बैठक में मुआवजे में संशोधन किया है ताकि लोगों को लाभ हो।’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘इसके बावजूद अगर कोई जमीन नहीं देना चाहता, हम मजबूर नहीं करेंगे और उस भूखंड को छोड़कर परियोजना का विकास करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘क्षेत्र में रहने वाले उन लोगों को भी मुआवजा और समर्थन दिया जाएगा, जो कोयला ब्लॉक के लिये चिन्हित क्षेत्र में रहते हैं और जमीन तथा मकान को लेकर उनका कोई कानूनी अधिकार नहीं बनता।’ मुख्य सचिव एच के द्विवेदी ने कहा कि सरकार 10,000 करोड़ रुपये के पुनर्वास पैकेज की पेशकश कर रही है।
मकान निर्माण के लिए दिए जाने वाले मुआवजे को पांच लाख रुपये से बढ़ाकर सात लाख रुपए कर दिया गया है और उन्हें दिए जाने वाले घरों का आकार 600 वर्ग फुट से संशोधित कर 700 वर्ग फुट कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि साथ ही सरकार ने मुआवजे के एक और हिस्से को अब एक लाख रुपए के बजाय 1.5 लाख रुपए कर दिया है। द्विवेदी ने कहा कि वह जमीन गंवाने वालों को दो फीसदी मुआवजा, राहत के रूप में सौ फीसदी और दूसरी जगह सामान ले जाने के खर्च के एवज में एक लाख रुपए दे रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि जमीन गंवाने वाले परिवार के योग्य सदस्यों को कांस्टेबल या ग्रुप सी कर्मचारियों की तरह बेहतर नौकरी दी जाएगी। परियोजना क्षेत्र में 12 गांव हैं। कुल 21,033 की आबादी के साथ 4,314 घर हैं। देवचा पचामी कुल 12.31 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है जो करीब 3,400 एकड़ है। ब्लॉक में करीब 119.8 करोड़ टन कोयला और 140 करोड़ घन मीटर बेसाल्ट (ब्लैक स्टोन) का भंडार अनुमानित है।