अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के राष्ट्रपति पद की रेस से हटने के फैसले ने सबको चौंकाया। हालांकि, रेस छोड़ने के ऐलान से 24 घंटे पहले उन्होंने यह निर्णय ले लिया था। इस फैसले के सार्वजनिक होने से पहले सिर्फ उनके करीबी 5 लोगों को ही इसकी जानकारी थी।
गौरतलब है कि 27 जून को डोनाल्ड ट्रम्प से प्रेसिडेंशियल डिबेट में मात खाने के बाद उन पर रेस से हटने का दबाव बन रहा था। हालांकि, वे लगातार इस बात पर जोर दे रहे थे कि वे रेस से बाहर नहीं होंगे। बाइडेन ने आखिरकार रेस छोड़ने का फैसला क्यों लिया?
इस ऐतिहासिक घोषणा से पहले के 24 घंटे कैसे बीते? आइए जानते हैं...
बाइडेन ने 22 जुलाई को दोपहर के 1:45 बजे (भारतीय समयानुसार रात के 11:16) बजे रेस छोड़ने का ऐलान किया। इससे पहले उन्होंने 21 जुलाई को रेस से हटने का मन बनाने के बाद डेलावेयर के रेहॉबोथ बीच हाउस में मीटिंग बुलाई।
इस बैठक में उनकी पत्नी और फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन, उनके डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ एनी टोमासिनी, कांग्रेस सलाहकार स्टीव रिचेती, राजनीतिक सलाहकार माइक डोनिलॉन, और उनके वरिष्ठ सलाहकार एंथनी बर्नल शामिल थे।
बाइडेन ने इन 5 लोगों को अपने निर्णय के बारे में बताया। उन्होंने सभी से रेस से बाहर होने की प्लानिंग करने को कहा। इसके बाद सभी ने मिलकर रातभर बाइडेन के रेस से बाहर होने का प्लान बनाया। 22 जुलाई की सुबह घोषणा के लगभग 6 घंटे पहले उन्होंने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को फोन कर इसकी जानकारी दी और उन्हें समर्थन देने का वादा किया।
बाइडेन के रेस छोड़ने की उल्टी गिनती 27 जून से शुरू हुई
बाइडेन और ट्रम्प के बीच 27 जून को हुई पहली प्रेसिडेंशियल डिबेट से ही उनके रेस से बाहर होने की उल्टी गिनती शुरू हो गई। उस बहस के दौरान वह वह कई बार बोलते-बोलते फ्रीज हो गए। ऐसे भी मौके आए, जब उन्हें खुद पता नहीं था कि वह क्या बोल रहे हैं।
खराब परफॉर्मेंस के बाद उन पर उम्मीदवारी से हटने का दबाव बनना शुरू हुआ। ट्रम्प ने अपनी रैलियों में उनकी हेल्थ और उम्र का मुद्दा जोर-शोर से बनाया। जिसके बाद पूर्व राष्ट्रपति ओबामा, पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी और हैवी-वेट डेमोक्रेट उन पर रेस से बाहर होने का दबाव बनाने लगे।
डिबेट में घबराहट पर पार्किंसंस बीमारी होने का आरोप लगा
बाइडेन फिलहाल कोरोना से ग्रस्त हैं। उनके रेस छोड़ने की बड़ी वजह सेहत ही है। वह पहले से स्लीप एप्नी (सोते समय सांस लेने में दिक्कत) बीमारी के शिकार हैं। उन्हें डिमेंशिया से पीड़ित होने का भी आरोप है।
प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान उनकी घबराहट और नियंत्रण खोने का कारण पार्किंसंस बताया गया था। रिपोर्ट के अनुसार उन्हें न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर भी है। बीते कुछ महीनों में बाइडेन को इंटरव्यू, मीटिंग व रैलियों के दौरान गुम हो जाना, अचानक से चुप होना, चलते-चलते रुक जाना जैसी समस्याओं का सामना करते देखा गया है।
शिखर पर पहुंचने में लगे 50 साल, ढलान घंटों में
बाइडेन अमेरिकी राजनीति में 50 साल से भी ज्यादा समय से सक्रिय हैं। शिखर तक पहुंचने में बाइडेन को 5 दशक लग गए। इसकी तुलना में वहां से गिरावट बहुत जल्दी में हुई। इसका अंदाजा न उनके डोनर को था, न ही उपराष्ट्रपति कमला को और न ही हैवी-वेट डेमोक्रेट्स को। बाइडेन के ऐलान के बाद कई डोनर्स ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी सोशल मीडिया से मिली।