तालिबान ने महिलाओं के खुले में बोलने पर रोक लगाई:कहा-आवाज सुनकर पुरुषों का मन भटक सकता है

Updated on 27-08-2024 05:36 PM

अफगानिस्तान में तालिबान ने महिलाओं को लेकर नए कानून लागू कर दिए हैं। महिलाओं को सख्त हिदायत देते हुए उनके घर से बाहर बोलने पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही उन्हें सार्वजनिक जगहों पर हमेशा अपने शरीर और चेहरे को मोटे कपड़े से ढकने का आदेश दिया गया है।

अंग्रेजी अखबार द गार्जियन के मुताबिक तालिबान ने इन कानूनों के पीछे की वजह देते हुए कहा है कि महिलाओं की आवाज से भी पुरुषों का मन भटक सकता है। इससे बचने के लिए महिलाओं को सार्वजनिक जगहों पर बोलने से पहरेज करना चाहिए।

'पुरुष भी खुद को ढकें'
तालिबान के सुप्रीम लीडर मुल्ला हिबातुल्लाह अखुंदजादा ने नए कानूनों को मंजूरी दे दी है। इन कानूनों को हलाल और हराम की दो कैटेगरी में बांटा गया है। तालिबान के इस फैसले की संयुक्त राष्ट्र संघ ने कड़ी निंदा की है। साथ ही कई मानवाधिकार संगठनों ने भी इसे लेकर आपत्ति भी जताई है।

तालिबान ने महिलाओं के घर में गाने और तेज आवाज में पढ़ने से भी मना किया है। जिन महिलाओं या लड़कियों को नए कानूनों तोड़ने का दोषी पाया जाएगा, उन्हें कड़ी सजा दी जाएगी।

तालिबान ने इस बार महिलाओं के अलावा पुरुषों पर भी कुछ प्रतिबंध लगाए हैं। पुरुषों को भी घर से बाहर निकलते समय घुटनों तक अपने शरीर को ढंकना होगा। वहीं, तालिबान ने किसी भी जीवित शख्स की तस्वीर खींचने पर भी पाबंदी लगा दी है।

15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान की सत्ता दूसरी बार तालिबान के हाथ आई। उसी दिन से महिलाओं पर प्रतिबंध बढ़ गए थे। सबसे पहले अलग-अलग सरकारी संस्थानों में काम कर रही महिलाओं से उनकी नौकरियां छीनी गई। फिर उनकी पढ़ाई पर पाबंदियां लगाई गई। अफगानिस्तान में महिलाएं सिर्फ छठी कक्षा तक ही पढ़ाई कर सकती हैं।

न सिर्फ महिलाओं पर प्रतिबंध बल्कि तालिबान ने सत्ता में आने के बाद कई ऐसे कानून लागू किए हैं जो मानवाधिकारों के खिलाफ हैं। इनमें सबसे अहम सार्वजनिक जगहों पर सजा देना है। वो 2 घटनाएं जब तालिबान ने लोगों को सार्वजनिक सजा दी...

1. समलैंगिक संबंध के आरोप में कोड़े मारकर पिटाई
तालिबान ने इस साल जून में समलैंगिक संबंध बनाने के आरोप में 63 लोगों की कोड़े मारकर पिटाई की थी। इनमें 14 महिलाएं भी शामिल थीं। न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक, इन लोगों को समलैंगिकता, चोरी और अनैतिक संबंध बनाने का दोषी पाया गया था।

तालिबान समलैंगिकता को इस्लाम के खिलाफ मानता है। उसने सरी पुल प्रांत में स्टेडियम में पहले लोगों को इकट्ठा किया था फिर कथित आरोपी को कोड़े मारे। तालिबान लोगों को इस्लाम के रास्ते पर चलने को कहता है। साथ ही लोगों से ऐसा न करने पर सजा भुगतने की धमकी देता है।

संयुक्त राष्ट्र ने इस सजा की निंदा करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों के खिलाफ बताया था।

2. अवैध संबंध बनाने पर पत्थर मारने की सजा
तालिबानी हुकूमत के सुप्रीम लीडर मुल्ला हिबातुल्लाह अखुंदजादा ने इस साल मार्च में महिलाओं के खिलाफ एक फरमान जारी किया था। इस फरमान के मुताबिक जो भी महिला एडल्ट्री मामले में दोषी हुई, उसकी पत्थरों से मार-मारकर हत्या कर दी जाएगी।

एक ऑडियो मैसेज में अखंदजादा ने पश्चिमी देशों के लोकतंत्र को चुनौती देते हुए इस्लामिक कानून शरिया को सख्ती से लागू करने का आदेश दिया था। उसने कहा- आप कहते हैं कि यह महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है जब हम उन्हें पत्थर मारकर मार देते हैं, लेकिन जल्द ही एडल्ट्री के लिए यह सजा लागू की जाएगी। दोषी महिलाओं को सरेआम कोड़े और पत्थर मारे जाएंगे।

तालिबानी नेता ने आगे कहा- जब हमने काबुल पर दोबारा कब्जा किया था तब हमारा काम खत्म नहीं हुआ था। हम चुपचाप बैठकर चाय नहीं पिएंगे। हम अफगानिस्तान में शरिया वापस लाकर रहेंगे।

क्या है अफगानिस्तान का शरिया कानून
तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद कहा था कि देश में शरिया कानून लागू होगा। दरअसल, शरिया इस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए एक लीगल सिस्टम की तरह है। कई इस्लामी देशों में इसका इस्तेमाल होता है। हालांकि, पाकिस्तान समेत ज्यादातर इस्लामी देशों में यह पूरी तरह लागू नहीं है। इसमें रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर कई तरह के बड़े मसलों पर कानून हैं।

शरिया में पारिवारिक, वित्त और व्यवसाय से जुड़े कानून शामिल हैं। शराब पीना, नशीली दवाओं का इस्तेमाल करना या तस्करी, शरिया कानून के तहत बड़े अपराधों में से एक है। यही वजह है कि इन अपराधों में कड़ी सजा के नियम हैं।



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