तेलंगाना के नागरकुर्नूल में 22 फरवरी को श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल की छत गिर गई थी। हादसे में 8 मजदूर पिछले 13 दिन से फंसे हुए हैं। मजदूरों के बचने की उम्मीद कम है, हालांकि तलाशी अभियान अभी भी चलाया जा रहा है।
हादसे को लेकर एक चौंकाने वाल बात सामने आई है। दरअसल 5 साल पहले 2020 में एमबर्ग टेक एजी नाम की कंपनी ने एक सर्वे किया था। रिपोर्ट में टनल के कुछ फॉल्ट जोन और कमजोर चट्टानों के खतरे को लेकर जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड को अलर्ट जारी किया था।
इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट के हवाले से बताया- करीब 14 किलोमीटर लंबे इस टनल के 13.88 किलोमीटर से 13.91 किलोमीटर के हिस्से में चट्टान कमजोर थे। इस हिस्से में पानी भी भरा हुआ था। यहां जमीन खिसकने का भी खतरा था। रिपोर्ट कंपनी को दी गई थी। हालांकि राज्य सरकार के सिंचाई विभाग को इसकी जानकारी थी या नहीं, यह साफ नहीं है।
दूसरे रिपोर्ट में भी टनल में खामियां बताई गईं
2020 में एक अन्य स्टडी में सुरंग में खामियों की बात सामने आई थी। स्टडी में कहा गया कि टनल की खुदाई बिना पुख्ता भू-तकनीकी जांच के की गई थी। यह इलाका टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट में आता है, इसलिए जमीन की खुदाई कर जांच करने की इजाजत नहीं मिली थी।
जब जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड से संपर्क किया गया तो उन्होंने रिपोर्ट की पुष्टि की। लेकिन डिटेल जानकारी देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि हम इस मुद्दे पर कोई कमेंट नहीं कर सकते हैं। एमबर्ग टेक एजी ने भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, उन्होंने कहा कि रिपोर्ट और इसका डेटा गोपनीय है।
इसी हिस्से में हादसा हुआ
बचावकर्मियों के मुताबिक जिस हिस्से को रिपोर्ट में खतरनाक बताया गया था टनल का वही हिस्सा गिरा है। राहत अभियान से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि टनल की छत करीब तीन मीटर तक धंस गई है।
टनल में बार-बार पानी भरने की वजह से रेस्क्यू में मुश्किलें आ रही हैं। फिलहाल 13.5 किमी के बाद अभियान तेज किया गया है, जहां सुरंग बोरिंग मशीन फंसी हुई है और मजदूरों का कोई पता नहीं चल पा रहा है। सिंचाई विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें ऐसी किसी रिपोर्ट की जानकारी नहीं है।
टनल में रोबोट भेजने की तैयारी
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हैदराबाद की रोबोटिक्स कंपनी की टीम ने 4 मार्च को जांच की थी कि क्या रोबोट सुरंग के अंदर गहराई तक जाकर काम कर सकता है, क्योंकि वहां नमी अधिक है। कंपनी इस पर जल्द ही अपना जवाब देगी।
अधिकारी के मुताबिक आने वाले समय में जब सुरंग में परियोजना का काम दोबारा शुरू होगा तो रोबोट्स का इस्तेमाल शुरुआती निरीक्षण और चट्टानों की संरचनात्मक स्थिरता जांचने के लिए किया जा सकता है।
उधर, रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद के लिए केरल पुलिस ने कैडेवर डॉग भेजे हैं। ये मलबे में दबे शवों को ढूंढने में माहिर होते हैं। इन डॉग्स के साथ उनके ट्रेनर भी गए हैं, जो बचाव कार्य में मदद करेंगे। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने केरल सरकार से इन्हें भेजने को कहा था।