भोपाल । प्रदेश में एक तरफ बिजली कंपनियां घाटे का हवाला देकर बिजली दरों में लगातार वृद्धि कर जनता पर बोझ डाल रही हैं, वहीं दूसरी तरफ मप्र पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी ने नियमों को ताक पर रखकर 452 करोड़ की लागत से 155 ट्रांसफॉर्मर खरीदे है,जिन पर ज्यादा राशि खर्च की गई है।
कंपनी के इस गड़बड़झाले का खुलासा कैग की रिपोर्ट में हुआ है। कैग ने आपत्ति उठाई है कि ज्यादा कीमत पर ट्रांसफॉर्मर क्रय करने और टेंडर प्रक्रिया का पालन सही ढंग से नहीं करने की वजह से सरकार को 58.51 करोड़ की चपत लगी है।
गौरतलब है कि मप्र पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी प्रदेश में पारेषण प्रणाली का विकास, रखरखाव और मरम्मत के साथ ही ट्रांसफॉर्मर की खरीदी करती है। कंपनी ने प्रदेश में विद्युत उपकेंद्रों की स्थापना करने 155 ट्रांसफॉर्मर खरीदने 19 टेंडर जारी किए थे। कंपनी इसके लिए कम दर का निर्धारण नहीं कर सकी और महंगी दर पर ट्रांसफॉर्मर खरीदने के लिए पिछली खरीदी की तुलना में उच्च मूल्य पर खरीदने को मजबूर हुई।
कंपनी एल-2 बोलीदाता से एल-1 पर की गई खरीदी दर को प्रतिबंधित करने में भी विफल रही और समझोते में मूल्य गिरावट की धारा और 50 प्रतिशत मात्रा में कमी की शर्तों को शामिल करने में विफल रही। कंपनी ने 18 टर्नकी ठेकों में से 12 टर्नकी ठेकों में (बीपीआईटीएस)की सिफारिशों को नजरअंदाज करते हुए ट्रांसफॉर्मर क्रय किए, जिसके चलते सरकार को 58.51 करोड़ की चपत लगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी कुशलता से धन का प्रबंधन नहीं कर सकी, जिसके कारण वित्तीय संस्थाओं को ब्याज के भुगतान के रूप में हानि उठानी पड़ी। इसके अलावा धनराशि अवरुद्ध रखने, कमीशनिंग में देरी हुई। क्योंकि स्थापना के लिए साइट की तैयारी किए बिना ट्रांसफॉर्मर की खरीदी के आर्डर दे दिए थे।