भोपाल। दुनियाभर में कैंसर की बीमारी तेजी से अपना पैर पसार रही है। कैंसर कई प्रकार के होते हैं और उन्हीं में से एक है पेट का कैंसर। दरअसल, पेट का कैंसर काफी गंभीर और जानलेवा होता है। लेकिन, शुरुआत में इसकी पहचान कर ली जाए तो इसका इलाज किया जा सकता है। किसी भी बीमारी को शुरुआत में ही पहचानने के लिए जरूरी है कि आप इसके लक्षणों और संकेतों के बारे में जानें ताकि, किसी भी लक्षण को नदरअंदाज न किया जाए और इस बीमारी से बचा जा सके। वहीं लिवर कैंसर की शुरुआत लिवर की कोशिकाओं से होती है। किसी भी अन्य बीमारी की तरह जितनी जल्दी आप इसे पहचान लेंगे कि आपको लिवर कैंसर का खतरा उतना ही कम होगा। हालांकि लिवर में कैंसर के लक्षण भी दूसरे या तीसरे चरण में ही नजर आते हैं। यह बात राजधानी में गैस्टोकेयर फाउंडेशन द्वारा इंडियन सोसाइटी ऑफ गैस्टोएंटरोलॉजी के सहयोग से आयोजित सम्मेलन में निकलकार सामने आई। इस बारे में फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ संजय कुमार ने बताया कि देश में कैंसर 8 फीसदी की दर से बढ रहा है। जिसमें सरकार की मदद के साथ लोगों में जागरूकता भी जरूरी है। उन्होंने बताया कि एल्कोहल के अत्यधिक सेवन, तंबाकू, मोटापा की समस्या, फास्टफूड खाने की आदत व स्मोकिंग आदि से देश में लिवर व पेट कैंसर की समस्या बढ़ रही है। इस पर लगाम लगाने के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है।यह सम्मेलन गैस्ट्रोकेयर फाउंडेशन द्वारा इंडियन सोसाइटी ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी (एमपी चैप्टर) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है और होटल मैरियट में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ग्रेटर भोपाल शाखा, एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया (भोपाल शाखा) और भोपाल सर्जन क्लब द्वारा समर्थित है।
एआई से बदल जाएगा पेट के कैंसर के इलाज का तरीका : डॉ संजय कुमार ने बताया कि मेडिकल साइंस में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) का रोल बढ़ता जा रहा है। इस तकनीक से टेस्ट के दौरान ही बीमारी होने के खतरे का पता लगाया जा सकता है। इससे यह फायदा है कि मरीजों को बीमारी गंभीर होने से पहले ही उनका इलाज हो जाएगा। इन डिवाइस की वजह से मरीजों की निगरानी भी पहले से बेहतर हो गई है। इसी कड़ी में एंडोस्कोपी में भी एआई का प्रयोग बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि अभी इस पर रिसर्च चल रहा है।
कैंसर के डिटेक्शन में एंडोस्कोपिक अल्टासाउंड महत्वपूर्ण : मुंबई के विनय धीर ने बताया कि एंडोस्कोपिक अल्टासाउंड कैंसर के डिटेक्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब हम अल्टासाउंड बाहर से करते हैं तो थोडी दूरी हो जाती है जबकि एंडोस्कोपिक अल्टासाउंड में अंदर तक का अल्टासाउंड आ जाता है। छोटी स्टोन तक इससे दिख जाता है। जब हम आर्गन के पास होते हैं तो इसका सैंपल भी ले सकते हैं। खून की नली तक को देख सकते हैं, बायोप्सी ले सकते हैं। कीमोथैरेपी बिना बायोप्सी के नहीं होती।
मौतों को कम किया जा सकता है : हैदराबाद के डा मोहन रामचंदानी ने बताया कि कैंसर से होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है। इसका कारण देर से कैंसर डिटेक्ट होना है। अगर हम जल्द पता लगा लें तो कैंसर से होने वाली मौतों को 90 प्रतिशत तक कम किया जा सकेगा। किस तरह एंडोस्कोपी तकनीक को सुधारा जाए। हम इस पर काम कर रहे हैं। हम इसके लिए जापान का भी सहयोग ले रहे हैं।
45 की उम्र के बाद स्क्रीनिंग कराएं : हैदराबाद के डा पवन के अडाला ने बताया कि लाइफस्टाइल मैंटेन करके कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। एक्सरसाइज करें, अच्छी लाइफस्टाइल मैंटेन करें, स्टेस न लें, अच्छा खाना खाएं व खाने के बाद घूमने निकलें। 45 की उम्र के बाद स्क्रीनिंग कराएं ताकि अगर कैंसर है तो उसे जल्दी पकडा जा सके। खासकर महिलाओं के लिए ब्रेस्ट कैंसर की स्थिति में।
स्क्रीनिंग के लिए पॉलिसी लाए सरकार : प्रयागराज से आए डॉ एस पी मिश्रा ने बताया कि कैंसर से लड़ने के लिए सरकार की मदद की जरूरत है। उसे स्क्रीनिंग के लिए पॉलिसी बनानी चाहिए। सरकार को शराब व गुटका बैन कर देना चाहिए क्योंकि कैंसर के लिए ये दोनों काफी हद तक जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि एआई के आने से यह फायदा होगा कि जो जांच आखों द्वारा पकड़ में नहीं आ पाती वह एआई पकड़ लेगी।
कैंसर के इलाज में काफी परिवर्तन आएगा : दिल्ली के डा सलीम नायक ने बताया कि कैंसर के इलाज में काफी परिवर्तन आए हैं, वर्तमान दौर में कई प्रकार के कैंसरों का इलाज संभव हुआ है। जेनेटिक्स का रोल बढ गया है, इससे भविष्य में कैंसर के इलाज में काफी परिवर्तन आएगा। आने वाले समय में ऐसे कैंसर जिनका इलाज नहीं हो पा रहा उनका इलाज हो सकेगा।
डाइट में फलों और सब्जियों को शामिल करें : रीवा के पधारे डॉ एच एच उस्मानी ने बताया कि हमें अपनी डाइट में फलों और सब्जियों को शामिल करना चाहिए। इससे आपकी सेहत भी बेहतर रहेगी और अन्य दूसरी बीमारियों से भी बचाव में मदद मिलेगी। इसके साथ ही, अपनी डाइट में से प्रोसेस्ड फूड्स को बाहर करें। उन्होंने बताया कि अगर लिवर व पेट के कैंसर जांच में जल्दी पकड़ में आ जाते हैं तो उनका पूर्ण इलाज संभव हो पाता है।
क्रोमोएन्डोस्कोपी काफी मददगार : इंदौर चौइथराम हॉस्पिटल के डॉ अजय कुमार जैन ने बताया कि कैंसर का पता लगाने में क्रोमोएन्डोस्कोपी काफी मददगार होती है। क्रोमोएंडोस्कोपी एक संशोधित गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (जीआई) एंडोस्कोपी प्रक्रिया है जो आपके पाचन तंत्र की परत (म्यूकोसा) में कैंसर के धब्बे का पता लगाने के लिए दाग, रंगद्रव्य या रंगों का उपयोग करती है। जैन ने बताया कि नई टेक्नोलॉजी की सहायता से कैंसर के इलाज में आसानी हुई है।
अपोलो हॉस्पिटल बिलासपुर के डा देवेन्द्र सिंह ने बताया कि ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में कैंसर के मामले बढे हैं। शुरुआती स्टेज में पेट के कैंसर में लोगों को कोई लक्षण नहीं दिखता है। लेकिन, जैसे-जैसे कैंसर बढ़ने और फैलने लगता है, इसके लक्षणों को महसूस किया जा सकता है। इनमें नाभि के ऊपर पेट में दर्द, पेट में जलन, थोडा सा खाना खाने पर ही पेट भरा सा महसूस होना, बार-बार अपच की समस्या होना, मतली और उल्टी, भूख में कमी होना, तेजी के साथ वजन कम होना शामिल हैं। उन्होंने बताया कि मोटापा पेट के कैंसर की वजह बन सकता है। इसलिए, रोज एक्सरसाइज करें। इससे आपका वजन भी कम होगा और आपकी सेहत भी अच्छी रहेगी।
लोगों में जागरूकता बढी : भोपाल के डा सी सी चौबल ने बताया कि लाइफस्टाइल में चेंज की वजह से कैंसर हो रहा है। पान गुटका तंबाकू, शराब आदि प्रमुख कारण हैं। गार्डब्लेडर का कैंसर भोपाल में काफी हो रहा है। हालांकि लोगों में जागरूकता बढ रही है लेकिन वह नाकाफी है। चौबल ने बताया कि भोपाल में कैंसर के इलाज की सुविधाएं बढी हैं।
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