भोपाल । मध्यप्रदेश में अब बाघों की निगरानी ड्रोन से की जाएगी। इसका आगाज पन्ना टाइगर रिजर्व से किया जा रहा है। पार्क प्रबंधन ने इसके लिए बाकायदा एक दल का गठन किया है, जो पार्क के उन क्षेत्रों में ड्रोन से नजर रख रहा है, जहां बाघों की ज्यादा आवाजाही है। यह प्रयोग बाघों की निगरानी के लिए बेहतर बताया जा रहा है। इसलिए अब कान्हा, बांधवगढ़, पेंच पार्क में भी बाघों की निगरानी के लिए ड्रोन खरीदने की तैयारी है।वर्ष 2008 में पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ प्रजाति खत्म हो गई थी। इस प्रजाति को पार्क में फिर से बसाया गया है। ऐसे में उनकी ज्यादा देखरेख करना पड़ी है। इस साल प्रदेश में 39 बाघों की मौत हुई है। उनमें शिकार के नौ मामले बताए जा रहे हैं। जिसे देखते हुए वन्यप्राणी मुख्यालय ने ड्रोन से बाघों और जंगल की निगरानी करने के निर्देश दिए थे।
यह प्रयोग पन्ना टाइगर रिजर्व में शुरू हो चुका है। करीब छह माह से वहां ड्रोन दस्ता (दल) बाघों की निगरानी कर रहा है। घनी झाड़ियों या पथरीली चढ़ाई के कारण जहां आसानी से पहुंचना संभव भी नहीं है। वहां भी ड्रोन से आसानी से देखा जा सकता है। इस प्रयोग को काफी सराहा जा रहा है। जिसे देखते हुए वन्यप्राणी मुख्यालय प्रदेश के अन्य बड़े टाइगर रिजर्व कान्हा, बांधवगढ़, पेंच में भी यह व्यवस्था शुरू करने की तैयारी कर रहा है। संबंधित पार्क प्रबंधन को इस संबंध में काम शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।
पन्ना टाइगर रिजर्व में गठित किया गया ड्रोन दल दिन-रात निगरानी करता है। इस दल में वाहन के अलावा पालियों में कर्मचारी लगाए गए हैं, जो बाघ की आवाजाही वाले इलाके में सक्रिय रहते हैं। किसी बाघ के ज्यादा समय एक ही जगह रुकने, अचानक उपस्थिति नहीं दिखाई देने की स्थिति में भी इस दल को बाघ की तलाश में लगाया जाता है। इस बारे में मध्य प्रदेश के मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक आलोक कुमार का कहना है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में ड्रोन से निगरानी का प्रयोग अच्छा रहा है। इसलिए दूसरे पार्कों में भी ड्रोन से निगरानी शुरू कराने पर विचार कर रहे हैं। संबंधित प्रबंधन से कार्ययोजना मांगी है।